Bihar Corrupt Officer: एक करोड़ के गबन का आरोपी, फिर भी प्रमोशन! पाटलिपुत्र सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के डीओ पर आय से अधिक संपत्ति मामले में ईओयू की तफ्तीश तेज, रोज हो रहे नए खुलासे से हड़कंप
Bihar Corrupt Officer: भवेश कुमार सिंह पहले से ही करीब एक करोड़ रुपये के गबन के आरोपी हैं। इसके बावजूद न केवल वे पद पर बने रहे, बल्कि वर्ष 2024 में उन्हें प्रोन्नति देकर स्केल-तीन का पदाधिकारी भी बना दिया गया।
Bihar Corrupt Officer:आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के आरोपी पाटलिपुत्र सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के विकास पदाधिकारी भवेश कुमार सिंह की मुश्किलें लगातार बढ़ती जा रही हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि भवेश कुमार सिंह पहले से ही करीब एक करोड़ रुपये के गबन के आरोपी हैं। बैंक प्रशासन ने वर्ष 2019 में उनके खिलाफ पटना जिले के नौबतपुर थाना में गबन की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके बावजूद न केवल वे पद पर बने रहे, बल्कि वर्ष 2024 में उन्हें प्रोन्नति देकर स्केल-तीन का पदाधिकारी भी बना दिया गया।
आय से अधिक संपत्ति के मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को जैसे ही इस पुराने गबन कांड की जानकारी मिली, उसने संबंधित प्राधिकार से केस की अद्यतन रिपोर्ट तलब कर ली है। साथ ही गबन के आरोपी को प्रोन्नति देने के मामले में बैंक प्रबंधन से भी जवाब-तलब किया गया है। यह पूरा मामला बैंकिंग सिस्टम में फैले भ्रष्टाचार और मिलीभगत की ओर इशारा कर रहा है।
ईओयू सूत्रों के मुताबिक, जांच के दौरान यह खुलासा हुआ है कि आरोपी डीओ ने अपने पद का दुरुपयोग कर राज्य के भीतर ही नहीं, बल्कि राज्य के बाहर भी अकूत संपत्ति खड़ी कर ली है। शुक्रवार को ईओयू की टीम ने पटना और गोपालगंज में छह ठिकानों पर छापेमारी की। छापे के दौरान मिले दस्तावेजों के आधार पर डीओ से देर रात तक पूछताछ की गई। उनसे चल-अचल संपत्तियों का विस्तृत ब्योरा लिया गया और सोमवार को पुनः पूछताछ के लिए नोटिस थमाया गया है।
जांच के दायरे में डीओ के रिश्तेदारों के नाम पर खोले गए बैंक खाते भी आए हैं। ईओयू ने बैंक में आरएम इंटरप्राइजेज के नाम से संचालित खातों की पड़ताल शुरू की है, जिनमें केवल इस साल 12 से 15 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन सामने आए हैं। शक है कि काली कमाई को रिश्तेदारों के जरिए सफेद बनाने का खेल खेला गया।
ईओयू की जांच में यह भी सामने आया है कि गोपालगंज के मांझागढ़ स्थित विशंभरपुर गांव में रिश्तेदार के नाम पर खोले गए पेट्रोल पंप को सील करा दिया गया है। इसके अलावा चिह्नित राइस मिल और करोड़ों रुपये की 41 डिसमिल जमीन की खरीद को लेकर भी पूछताछ की गई है। ईओयू ने आयकर विभाग और सहकारिता विभाग को भी पत्र लिखकर समन्वित जांच की सिफारिश की है।
पूरा मामला बैंकिंग तंत्र में फैले भ्रष्टाचार की एक खौफनाक तस्वीर पेश कर रहा है, जहां गबन के आरोपी अफसर बेधड़क तरक्की पाते रहे और सिस्टम तमाशबीन बना रहा।