Jihadis and Naxalites: पॉल्यूशन के नाम पर पोस्टर पॉलिटिक्स, सियासत का पारा चढ़ा, जिहादी और नक्सलियों के नए मुखौटा बने सोशल एक्टिविस्ट
Jihadis and Naxalites: दिल्ली का इंडिया गेट एक अजीबोगरीब विरोध का अखाड़ा बन गया—मुद्दा था पॉल्यूशन, लेकिन नारेबाज़ी में अचानक नक्सलवाद की गूँज सुनाई देने लगी। प्रदर्शनकारी युवाओं की भीड़ ने न केवल मारे गए नक्सली कमांडर माडवी हिडमा के पोस्टर लहराए, बल्कि पूरे जोश से नारे लगाए-“कितने हिडमा मारोगे, हर घर से हिडमा निकलेगा।”“कॉमरेड हिडमा को लाल सलाम।”यह सब देखकर माहौल हवा से ज्यादा सियासत में धुँधला हो गया।
इस घटना पर दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स पोस्ट में लिखा कि “हाथ में पोस्टर पॉल्यूशन के, और मुंह में नक्सली नारे। जिहादी और नक्सलियों का नया मुखौटा—सोशल एक्टिविस्ट बनना है।”मिश्रा ने आगे कहा कि दिल्ली ऐसी विचारधारा को पहचानती भी है और मुंहतोड़ जवाब देना भी जानती है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में साफ दिखता है कि लड़के-लड़कियां ‘बचाओ पर्यावरण’ के पोस्टरों के साथ लाल सलाम की तर्ज़ पर नारेबाज़ी कर रहे हैं। एक बैनर पर लिखा था-“दिल्ली सरकार होश में आओ।”
लेकिन इस होश की बहस में सबसे पहले बेहोश हुई दिल्ली पुलिस। विरोध कर रहे युवकों ने पुलिस पर मिर्च स्प्रे तक कर दिया। इसके बाद पुलिस ने 15 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की—सरकारी काम में बाधा, पुलिस पर हमला, और सड़क जाम जैसे आरोपों के साथ।
यहाँ यह भी याद रखना ज़रूरी है कि माडवी हिडमा कोई सामाजिक कार्यकर्ता नहीं, बल्कि दंतेवाड़ा से सुकमा तक खून से लथपथ रास्ते बनाता फिरने वाला टॉप नक्सली कमांडर था। उस पर 130 से ज्यादा जवानों की हत्या का आरोप था और उसकी गिरफ्तारी पर 1 करोड़ रुपये इनाम रखा गया था।पॉल्यूशन पर बहस होनी चाहिए थी, लेकिन नतीजतन चर्चा हिडमा और लाल सलाम पर जा पहुँची और दिल्ली की हवा में ज़हर घुलने से पहले ही सियासत ने पूरा माहौल बारूद बना दिया।