Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, 46 साल पुराना फैसला बदला, जानिए अब सरकार निजी संपत्ति ले सकती है या नहीं ?

Supreme Court News: सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला निजी संपत्ति के अधिकार के लिए एक बड़ी जीत है। इस फैसले से लोगों को अपनी संपत्ति को लेकर अधिक सुरक्षित महसूस होगा।

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Supreme Court historic decision- फोटो : social media

Supreme Court News:  भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 46 साल पुराना फैसला भी पलट दिया है। दरअसल, हर निजी संपत्ति सरकार सार्वजनिक हित के लिए अधिग्रहण कर सकती है या नहीं इसको लेकर आज सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि सरकार हर निजी संपत्ति को सार्वजनिक हित में अधिग्रहित नहीं कर सकती। 9 जजों की संवैधानिक पीठ ने मंगलवार को यह फैसला सुनाया।

क्या कहा अदालत ने?

अदालत ने कहा कि सभी निजी संपत्तियों को सार्वजनिक हित में इस्तेमाल होने वाली संपत्ति नहीं माना जा सकता। इसलिए सरकार इन पर अपना अधिकार नहीं जमा सकती। हालांकि, अगर कोई संपत्ति सार्वजनिक हित के लिए जरूरी है, तो सरकार उस पर विचार कर सकती है। अदालत ने 1978 के उस फैसले को भी खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि सरकार किसी भी निजी संपत्ति को अधिग्रहित कर सकती है।

क्यों है यह फैसला महत्वपूर्ण?

कोर्ट का यह फैसला कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। यह फैसला निजी संपत्ति के अधिकार को मजबूत करता है। अदालत ने इस फैसले के साथ 1978 के उस फैसले को खारिज कर दिया जो समाजवादी विचारधारा पर आधारित था। अदालत ने स्पष्ट किया है कि सार्वजनिक हित के मामलों में ही सरकार संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती है।

अदालत के फैसले की मुख्य बातें

बता दें कि, 9 जजों में से 7 जजों ने इस बात का समर्थन किया कि सरकार हर निजी संपत्ति नहीं ले सकती। अदालत ने संविधान के अनुच्छेद 39(b) का हवाला देते हुए अपना फैसला सुनाया। अदालत ने 1978 के उस फैसले को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि सरकार किसी भी निजी संपत्ति को अधिग्रहित कर सकती है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के अलावा इस बेंच में जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस एससी शर्मा और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की राय थी कि हर संपत्ति का अधिग्रहण नहीं हो सकता। 

सात न्यायाधीशों के बहुमत से हुआ फैसला

वहीं बेंच में शामिल जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस बीवी नागरत्ना की राय अलग थी। प्रधान न्यायाधीश ने सात न्यायाधीशों का बहुमत का फैसला लिखते हुए कहा कि सभी निजी संपत्तियां भौतिक संसाधन नहीं हैं और इसलिए सरकारों द्वारा इन पर कब्ज़ा नहीं किया जा सकता। बेंच के बहुमत के फैसले के अनुसार निजी स्वामित्व वाले सभी संसाधनों को सरकार द्वारा अधिग्रहित नहीं किया जा सकता।

भलाई के लिए उन संपत्ति पर कर सकती है दावा 

उच्चतम न्यायालय ने कहा कि सरकार हालांकि जनता की भलाई के लिए उन संसाधनों पर दावा कर सकती है जो भौतिक हैं और समुदाय के पास हैं। बहुमत के फैसले में कहा गया कि सरकार के निजी संपत्तियों पर कब्जा कर सकने की बात कहने वाला पुराना फैसला विशेष आर्थिक और समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था।

46 साल पुराना फैसला खारिज

उच्चतम न्यायालय के बहुमत के फैसले में न्यायमूर्ति कृष्णा अय्यर के पिछले फैसले को पलट दिया गया। जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को सरकार द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। इस तरह शीर्ष अदालत ने 1978 के बाद के उन फैसलों को पलटा, जिनमें समाजवादी विचार को अपनाया गया था और कहा गया था कि सरकार आम भलाई के लिए सभी निजी संपत्तियों को अपने कब्जे में ले सकती है।

जागृति की रिपोर्ट

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