Bihar School News:अगले सत्र से सरकारी स्कूलों में एआई की पढ़ाई, 6 वीं से 12वी तक का बदल जाएगा सिलेबस , बिहार में होगी बड़ी शैक्षणिक क्रांति!

Bihar School News: बिहार की शिक्षा में एक नई क्रांति आने वाली है, जो न केवल पढ़ाई के ढांचे को आधुनिक बनाएगी बल्कि सरकारी स्कूलों के भाग्य को भी बदलने की ताकत रखती है

अगले सत्र से सरकारी स्कूलों में एआई की पढ़ाई- फोटो : Meta

Bihar School News: बिहार की शिक्षा में एक नई क्रांति  आने वाली है, जो न केवल पढ़ाई के  ढांचे को आधुनिक बनाएगी बल्कि सरकारी स्कूलों के तक़दीर को भी बदलने की ताकत रखती है। राज्य सरकार ने यह एलान किया है कि शैक्षणिक सत्र 2026-27 से कक्षा 6 से 12 तक के करीब एक करोड़ बच्चों को एआई यानी आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस की मुकम्मल शिक्षा दी जाएगी। यह क़दम सिर्फ़ एक कोर्स जोड़ने का नहीं, बल्कि तकनीकी ज्ञान की तरफ़ बढ़ाया गया साहसिक राजनीतिक कदम है, जिसमें आने वाली पीढ़ी को डिजिटल दुनिया के लिए तैयार करने का इरादा और राष्ट्रीय एकता दोनों शामिल हैं।

शिक्षा विभाग का कहना है कि कुछ चुने हुए स्कूलों में इसी साल से यह शिक्षा शुरू करने की तैयारी  हो चुकी है। एडोब के डिजिटल एजुकेशन प्रोग्राम के तहत सरकार ने तीन महीने पहले ही एमओयू पर दस्तख़्त किए थे, और अब उसी समझौते के सहारे बच्चों को एआई, मशीन लर्निंग, डेटा एनालिसिस और नैचरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग जैसे आधुनिक व उन्नत विषयों की शिक्षा हासिल होगी। हुकूमत का दावा है कि यह पहल महज़ टेक्नोलॉजी का इजाफ़ा नहीं, बल्कि बच्चों में रोज़गार योग्य दक्षता (एंप्लॉयबिलिटी स्किल्स) पैदा करने की एक ठोस और दूरअंदेश क़वायद है।

नई शिक्षा नीति 2020 के तहत तैयार किया जा रहा यह ड्राफ्ट विद्यार्थियों में डिजिटल क़ाबिलियत, आलोचनात्मक सोच और रचनात्मकता को नई उड़ान देगा। एआई आधारित टूल्स की मदद से बच्चों को इंटरेक्टिव लर्निंग का तजुर्बा मिलेगा, जहां गणित, विज्ञान और अंग्रेज़ी जैसे मुश्किल माने जाने वाले विषयों को विज़ुअल, ऑडियो और स्मार्ट एनालिटिक्स के सहारे आसान और दिलचस्प बनाया जाएगा। एजेंसी स्कूलों में जरूरी उपकरण और प्रशिक्षित प्रशिक्षक उपलब्ध कराएगी, साथ ही हर स्कूल के एक-एक शिक्षक को बेसिक ट्रेनिंग देकर उन्हें भी एआई का माहिर बनाया जाएगा, ताकि यह तालीम आगे हर बच्चे तक पहुंचे।

इसके ज़रिए सरकार की मंशा साफ़ है तकनीकी निपुणता को लोकतांत्रिक बनाना, ताकि सरकारी स्कूलों का बच्चा भी किसी भी राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने हुनर का परचम लहरा सके। यह पहल न सिर्फ़ शिक्षा व्यवस्था में नई जान डालेगी बल्कि बिहार के बच्चों को डिजिटल सशक्तिकरण की राह पर मज़बूती से खड़ा करेगी।

बिहार की शिक्षा व्यवस्था में  यह एक ऐसा फैसला है जिसे आने वाले वक्त में तकनीकी क्रांति की बुनियाद माना जाएगा।