Bihar Teacher News: बिहार में शिक्षकों की छुट्टियों पर 'डिजिटल ताला'! अब छुट्टी भी मांगनी होगी ऑनलाइन, ई-शिक्षाकोष से होगा हर फैसला, छुट्टी लेने की प्रक्रिया जान लीजिए, नहीं तो..
Bihar Teacher News: बिहार के शिक्षकों के लिए अब छुट्टियां लेना किसी ‘ऑफलाइन आराम’ की बात नहीं रही। शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए छुट्टियों की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है।
Bihar Teacher News: बिहार के शिक्षकों के लिए अब छुट्टियां लेना किसी ‘ऑफलाइन आराम’ की बात नहीं रही। शिक्षा विभाग ने बड़ा फैसला लेते हुए छुट्टियों की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है। यानी अब शिक्षक छुट्टी के लिए हाथ में आवेदन लेकर बाबूजी की चौखट पर घंटों खड़े नहीं रहेंगे — अब हर फरियाद ई-शिक्षाकोष पोर्टल पर दर्ज होगी।शिक्षा विभाग के उप सचिव अमित कुमार ने सभी जिलों को यह फरमान जारी कर दिया है। 23 जून के बाद से छुट्टियों का आवेदन केवल ऑनलाइन किया जाएगा और अधिकारी भी उसी पोर्टल के ज़रिए छुट्टी मंजूर करेंगे। यानी अब "फाइल खो गई", "हस्ताक्षर नहीं हुआ", "बॉस छुट्टी पर हैं" जैसे बहानों का डिजिटल खात्मा तय है!
महिला शिक्षकों को राहत, लेकिन सिस्टम की निगरानी भी सख्त:
मातृत्व अवकाश: 6 महीने तक वेतन सहित
बच्चों की देखभाल: 2 साल तक अवकाश
पितृत्व अवकाश: 15 दिन
यह सब सुनकर अच्छा लगता है, मगर अब निगरानी डिजिटल होगी – छुट्टी के लिए आवेदन से लेकर स्वीकृति तक हर क्लिक सिस्टम की नज़र में रहेगा।
किसको छुट्टी देगा कौन?
प्रधान शिक्षक/प्रभारी प्रधानाध्यापक की छुट्टी: प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी (BEO) देंगे तो सहायक और विशिष्ट शिक्षक की छुट्टी प्रधान या प्रभारी प्रधानाध्यापक देंगे और अगर शिक्षक सोचते हैं कि पुरानी तरह "बीमार हूँ" बोलकर महीनों की छुट्टी लेंगे, तो अब सावधान हो जाएं। अब हर छुट्टी जांच के बाद ही मिलेगी।300 दिन तक उपार्जित अवकाश डीईओ की स्वीकृति के बाद मिलेगी तो बिना वेतन असाधारण अवकाश डीईओ की ही स्वीकृति से मिलेगी। वहीं 180 दिन तक स्वास्थ्य छुट्टी वेतन सहित अनुमोदन संभव है।
अब छुट्टी मांगने से पहले फॉर्म नहीं, फॉर्मेट समझना होगा।अब बाबू नहीं, बटन दबेगा।अब फाइल नहीं, फाइल नंबर चलेगा।और अब छुट्टी मांगना मतलब — डिजिटल रास्तों से गुज़रना होगा, जहां हर कदम ट्रैक होगा! साफ है कि अब छुट्टी लेना 'आराम' नहीं, तकनीकी परीक्षा बन गई है।शिक्षकों को अब ई-पोर्टल के साथ डिजिटल दोस्ती करनी ही होगी, नहीं तो छुट्टियों का सपना... बस सपना बनकर रह जाएगा!