अशोक गहलोत कांग्रेस का 'जादूगर' जिसने तेजस्वी को बनवाया मुख्यमंत्री चेहरा, गुजरात में कर चुके हैं खेला अब बिहार में ऐसे चलेगा जादू
वर्ष 2017 में गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा और नरेंद्र मोदी को झटका दे चुके अशोक गहलोत ने बार फिर बिहार में अपने राजनीति के जादूगर होने का प्रमाण देने की कोशिश की है.
Bihar Election : बिहार में महागठबंधन के चुनावी अभियान में पड़े गांठों को खोलने की महारत एक बार फिर कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने दिखाई है. तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री चेहरा घोषित करने को लेकर उपजे विवाद को पाटने के साथ ही महागठबंधन के सभी घटक दलों के बीच बेहतर सामंजस्य स्थापित करने का कौशल अशोक गहलोत ने दिखाया है. कांग्रेस और राजद के बीच तमाम विवादों को सुलझाने के लिए अशोक गहलोत को राहुल गांधी द्वारा बड़ी जिम्मेदारी देने का खास कारण भी है. उन्होंने इसके पहले भी कई मौकों को एक बेहतरीन रणनीतिकार की भूमिका अदा की है. खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उनके ही गृह राज्य गुजरात में झटका देने के लिए अशोक गहलोत को जाना जाता है
दरअसल, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कांग्रेस हाईकमान ने बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य पर्यवेक्षक बनाया है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को राजनीति का जादूगर कहा जाता है. राजस्थान जैसे प्रदेश में जहां की राजनीति लगातार क्षत्रियों, जाटों और ब्राह्मणों के प्रभाव में रही हो, वहां जाति से माली और ख़ानदानी पेशे से जादूगर के बेटे ने अपने आपको कांग्रेस के सबसे बड़े नेता के रूप में स्थापित किया. वे तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे. पहली बार 1998 से 2003 तक मुख्यमंत्री रहे. वर्ष 2008 से 2013 तक गहलोत दूसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे, वही वर्ष 2018 से 2023 तक गहलोत तीसरी बार राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे.
मोदी को दिया था झटका
लेकिन अशोक गहलोत ने वर्ष 2017 के गुजरात विधानसभा चुनाव में जो कमाल किया उससे उन्होंने नरेंद्र मोदी को परेशान कर दिया. 2017 के गुजरात चुनाव में कांग्रेस पर्यवेक्षक की भूमिका निभा रहे अशोक गहलोत ने भाजपा को बड़ा झटका दिया था. गुजरात में पदयात्रा कर भाजपा के खिलाफ माहौल बनाने में गहलोत ने जमीनी स्तर पर काम किया. उन्होंने गुजरात में 2017 के चुनाव में जिस तरह से फैसले लिए थे, उसकी वजह से 1995 के बाद पहली बार कांग्रेस ने 77 सीटें जीती थीं. तब कांग्रेस को 16 सीटों का इजाफा हुआ और 77 विधानसभा में जीत हुई. हालांकि भाजपा को कई सीटों पर मिली हार के बाद भी 99 सीटें आई और गुजरात में सरकार बनाने में सफल हुए. कांग्रेस भले सफल नहीं हुई लेकिन गुजरात में यह भाजपा और नरेंद्र मोदी के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण चुनाव था.
बिहार में दिखेगा जादू !
राजस्थान और गुजरात में भाजपा के खिलाफ कमाल दिखा चुके अशोक गहलोत को आपसी समन्वय स्थापित करने की कला जानने वाला नेता कहते हैं. ख़ानदानी पेशे से जादूगर के बेटे को इसी कारण से राजनीति का जादूगर भी कहते हैं. अब बिहार में उन्हें जादू दिखाने की चुनौती है. इसमें पहली बाधा सीएम के चेहरे को लेकर तकरार से थी. सूत्रों के अनुसार गहलोत ने भी कांग्रेस हाईकमान को इसके लिए तैयार किया कि अगर तेजस्वी को सीएम और मुकेश सहनी को डिप्टी सीएम का चेहरा घोषित किया जाए तो इससे यादव और सहनी जाति के मतदाताओं को एकजुट करने में सफलता मिलेगी. साथ ही एनडीए पर दबाव बढ़ेगा कि वह भी सीएम का नाम घोषित करे. अगर भाजपा नीतीश कुमार को सीएम चेहरा घोषित नहीं करती तो यह एनडीए के भीतर टकराव को बढ़ाएगा. यह महागठबंधन को फायदा दे सकता है.
फ्रेंडली फाइट सीटों पर रोकेगे टकराव
अशोक गहलोत की एक ओर कोशिश उन सीटों पर टकराव रोकने की है जहां महागठबंधन के घटक दलों में फ्रेंडली फाइट की नौबत है. करीब 12 सीटों पर इस प्रकार की स्थिति है. एक दिन पहले ही गहलोत ने लालू यादव से मुलाकात के बद इसके संकेत दिए थे. अब आगे वे इस दिशा में काम करते दिख सकते हैं.