Patna High Court: चुनाव से पहले तेजस्वी और पशुपति पारस को हाई कोर्ट से बड़ा झटका, मोहनिया से राजद उम्मीदवार व घोसी से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति के उम्मीदवार का नामांकन रद्द

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण से पहले सियासी गलियारों में एक और बड़ी हलचल मच गई है। पटना हाईकोर्ट ने सोमवार को मोहनिया से राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन और घोसी से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी ) के उम्मीदवार राकेश कुमार सिंह द्वारा दायर याचिकाओं को ख

चुनाव से पहले तेजस्वी तेजप्रताप को हाई कोर्ट से बड़ा झटका- फोटो : reporter

Patna High Court: बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से ठीक पहले पटना हाईकोर्ट में दो अहम मामलों पर सोमवार को सुनवाई हुई। मोहनिया सीट से राजद प्रत्याशी श्वेता सुमन और घोसी से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी  के उम्मीदवार राकेश कुमार सिंह के नामांकन रद्द किए जाने के मामलों पर न्यायमूर्ति ए. अभिषेक रेड्डी की एकलपीठ ने एक साथ सुनवाई की।दोनों याचिकाओं में अधिवक्ताओं एस.बी.के. मंगलम और अवनीश कुमार ने अदालत के समक्ष दलील दी कि निर्वाची पदाधिकारी  ने चुनावी कानून की अनदेखी करते हुए मनमाने तरीके से दोनों प्रत्याशियों के नामांकन पत्र रद्द किए हैं। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई न सिर्फ़ तकनीकी त्रुटियों पर आधारित है बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों का भी हनन करती है।पटना हाईकोर्ट ने बिहार विधानसभा चुनाव में मोहनिया से राजद उम्मीदवार श्वेता सुमन व घोसी से राष्ट्रीय लोक जनशक्ति के उम्मीदवार राकेश कुमार सिंह नामांकन रद्द किये जाने के विरुद्ध  दायर याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया।कोर्ट ने 31 अक्टूबर,2025 को इन याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर निर्णय सुरक्षित रखा था ।

 जस्टिस ए अभिषेक ए रेड्डी ने इन याचिकाओं पर सुनवाई की।कोर्ट ने कहा कि अगर ये याचिकाकर्ता चाहे,तो चुनाव याचिका दायर कर सकते हैं। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति के घोसी से उम्मीदवार राकेश कुमार सिंह का नामांकन उनके द्वारा आपराधिक इतिहास के कालम मे टिक नहीं लगाने के कारण रद्द कर दिया गया था।राजद की मोहनियाँ से उम्मीदवार श्वेता सुमन का नामांकन उनके जाति  प्रमाणपत्र में  तकनीकी गलती के आधार पर रद्द कर दिया गया था ।

इन दोनो याचिकाओं को अधिवक्ता अविनीश कुमार ने दायर किया था।इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया था कि निर्वाची पदाधिकारी ने कानून की अनदेखी कर उनके नामांकन को रद्द किया है।जबकि भारतीय चुनाव आयोग के अधिवक्ता सिद्धार्थ प्रसाद ने इन याचिकाओं सुनवाई की योग्यता पर सवाल उठाया था।राजद प्रत्याशी श्वेता सुमन के नामांकन को निर्वाचन पदाधिकारी ने जाति प्रमाणपत्र में तकनीकी गलती के आधार पर निरस्त कर दिया था। वहीं राकेश कुमार सिंह का नामांकन इस वजह से रद्द हुआ कि उन्होंने अपने आपराधिक इतिहास से संबंधित कॉलम में टिक मार्क नहीं लगाया था।