Bihar Vidhansabha Chunav 2025: सांसद ने की अशरफ फातमी की तुलना बाहुबली अतीक से, अशोक यादव बयानों ने फिर भड़की सियासत, केवटी का महापंचायत, हुकूमत का हिसाब

मधुबनी के सांसद अली अशरफ फातमी की कुछ सियासी और सामाजिक छवि की तुलना यूपी के पूर्व बाहुबली अतीक अहमद से भी की जा रही है...

सांसद ने की अशरफ फातमी की तुलना बाहुबली अतीक से- फोटो : reporter

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: दरभंगा के केवटी विधानसभा क्षेत्र का बाढ़ पोखर मैदान रविवार को चुनावी शोरगुल और जुनून से गूंज उठा। एनडीए की विशाल जनसभा में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, मधुबनी सांसद अशोक कुमार यादव और पूर्व विश्वसुंदरी रूबी यादव ने मंच सँभाल कर विरोधियों पर जमकर निशाना साधा। मंच पर करारे लहजे में दिये गये बयानों ने मतदाताओं के दिलों में इंतख़ाबी जज़्बा को और भड़का दिया।

कुछ इलाके के राजनीतिक गॉसिप में यह भी गूंज उठा कि मधुबनी के सांसद अली अशरफ फातमी की कुछ सियासी और सामाजिक छवि की तुलना यूपी के पूर्व बाहुबली अतीक अहमद से भी की जा रही है मगर यह ताल्लुक़ सिर्फ़ सियासी बयानबाज़ी और आलोचनाओं का हिस्सा है, सत्यापन के बिना किसी पर लांछन लगाना गलत ठहर सकता है।

जनसभा में सबसे ज़्यादा सुर अशोक कुमार यादव के आक्रामक तेवरों के रहे। उन्होंने कहा कि केवटी का मैदान ऐसा है जैसे हम सीमा पर क़रार कर रहे हों कारगिल की तरह ही हौसले से लड़ेंगे। यादव ने राजद पर 25 बरस की बेपरवाही का इल्ज़ाम लगाया और कहा कि उस दौर में सड़कें, अस्पताल और स्कूल नहीं बने, सिर्फ कब्रिस्तान की घेराबंदी हुई , यह तंज़ और इल्ज़ाम सीधे तौर पर विपक्षी शासन की निंदा थे।

अशोक यादव ने मुस्लिम समुदाय के प्रति अपनी नापसंदगी भरे बयान में कहा कि कुछ लोग सरकार की तवज़्जो (योजनाओं) का फ़ायदा उठाते हैं पर वोट नहीं देते  गैस सिलेंडर, जनधन, अनाज, पेंशन सब लेते हैं पर वोट नहीं। उन्होंने कहा, अगर बीजेपी को वोट नहीं देना है तो कह दीजिए, अब हम ये फ़ायदे भी नहीं देंगे,  लाभ को तौबा तौबा समझ लिया जायेगा। यह बयान समुदाय में विवाद और बहस दोनों पैदा करने वाला है एक तरफ़ इसे सियासी अपील के रूप में देखा गया, तो दूसरी तरफ़ आलोचक इसे धार्मिक और समुदाय-विशेष बयान के रूप में नापसंद कर रहे हैं।

केवटी के लिए अपने बयान में अशोक यादव ने राजद के MY समीकरण को नारा करार दिया और सवाल उठाया कि यादवों को लुढ़का कर क्यों रखा गया  यह ज़मीन पर जातिगत समीकरणों और टिकटिंग नीतियों पर कटाक्ष था।केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने सुरक्षा और कानून की भाषा में कड़ा रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि घुसपैठियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी और दंगा-फसाद करने वालों की जगह जेल में है। राय ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने संदेश भेजा है कि केवटी से डॉ. मुरारी मोहन झा को जिताया जाए यह संकेत सीधे तौर पर केंद्र के समर्थन और प्रचार की तासीर बतलाता है।

जनसभा के बाद के माहौल में साफ़ दिखा कि चुनाव अब सिर्फ़ वोटों का नहीं हौसलों, इमेज और रीति-नीति का भी संग्राम बन गया है। मैदान में भाजपा का तंजीम और जोश काबिले-गौर था, मगर विपक्षी खेमे में भी नाराज़गी और प्रतिक्रिया की लहर सतही तौर पर मौज़ूद है। केवटी में इस बार जो सियासी तकरार देखने को मिली, वह न सिर्फ स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित थी बल्कि खत्म-नहोने वाली पहचान, कौमियत और राजनीतिक विरासत के सवालों को भी उभारा।

रिपोर्ट- वरुण कुमार ठाकुर