Bihar Vidhansabha chunav 2025: एनडीए में सीट बंटवारे पर बड़ा विवाद! इन 9 सीटों को लेकर भड़के नीतीश कुमार , विवाद को सुलझाने अमित शाह आ सकते हैं पटना
Bihar Vidhansabha chunav 2025 :एनडीए में सीट बंटवारे पर सियासी संग्राम तेज हो गया है। राजगीर और सोनबरसा सीट को लेकर नीतीश कुमार की नाराज़गी चरम पर है। ...
Bihar Vidhansabha chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव के ठीक पहले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर सियासी खींचतान अपने चरम पर पहुँच चुकी है। सीट बंटवारे की औपचारिक घोषणा भले ही हो गई हो, लेकिन सहयोगी दलों के बीच रंजिश और नाराज़गी का आलम साफ़ दिखाई दे रहा है। सूत्रों के मुताबिक, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीट वितरण के तौर-तरीकों से बेहद असंतुष्ट हैं और उन्होंने जेडीयू के कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय झा को फटकार लगाई है। दरअसल, राजगीर विधानसभा सीट, जो जेडीयू की सिटिंग सीट मानी जाती है, उसे लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के खाते में डाल दिए जाने से मुख्यमंत्री भड़क उठे हैं।
नीतीश कुमार ने स्पष्ट कहा है कि “राजगीर सीट किसी भी सूरत में जेडीयू के हाथ से नहीं जाएगी।” यह सीट पहले जेडीयू विधायक कौशल किशोर के कब्ज़े में थी। इसी तरह मोरवा और तारापुर सीटों को लेकर भी विवाद गहराता जा रहा है। दोनों सीटों पर लोजपा(रा.) का दावा है, जबकि जेडीयू का कहना है कि इन इलाक़ों में पार्टी की मजबूत पकड़ है।
तारापुर विधानसभा सीट पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी चुनाव लड़ने जा रहे हैं। उनका नामांकन 16 अक्टूबर को प्रस्तावित है, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रह सकते हैं। यह जानकारी सम्राट चौधरी के भाई रोहित चौधरी ने दी है।
उधर, खबर है कि जेडीयू मोरवा सीट भी किसी क़ीमत पर चिराग़ पासवान को देने के पक्ष में नहीं है। वहीं चिराग़ भी अपनी जिद पर अड़े हुए हैं। नतीजतन, एनडीए में मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। स्थिति इतनी तनावपूर्ण है कि सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह स्वयं पटना आकर इस गतिरोध को सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं। हालांकि इस यात्रा की आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।
सीट शेयरिंग के इस पेचीदा मसले पर सोमवार को भाजपा ने भी मैराथन बैठकें कीं। पहले प्रदेश नेताओं की, फिर चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में। देर रात भाजपा और जेडीयू नेताओं की बैठक संजय झा के आवास पर हुई, जिसमें सुलह की संभावनाओं पर चर्चा चली।
विवाद सोनबरसा सीट को लेकर भी है, जहाँ से जेडीयू विधायक और मंत्री रत्नेश सदा दोबारा उम्मीदवार बनाए गए हैं। जबकि पहले यह सीट लोजपा(रा.) को देने की बात कही गई थी। मुख्यमंत्री ने इस पर सख्त एतराज जताया और रत्नेश सदा को खुद पार्टी सिंबल सौंपते हुए संदेश दिया कि “जेडीयू अपने फैसलों पर कायम रहेगी।”
इसी क्रम में जेडीयू ने अपने उम्मीदवारों को सिंबल देना शुरू कर दिया है — अनंत सिंह (मोकामा), उमेश सिंह कुशवाहा, सुनील कुमार, शैलेश कुमार, बिजेंद्र प्रसाद यादव, संतोष निराला, सिद्धार्थ पटेल, और दामोदर रावत समेत कई नेताओं को टिकट मिल चुका है।
नीतीश कुमार की यह नाराज़गी सिर्फ सीटों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह गठबंधन के भीतर सम्मान और संतुलन की राजनीति का भी प्रतीक है। राजगीर, सोनबरसा और मोरवा जैसी सीटों पर उठे सवाल यह संकेत दे रहे हैं कि एनडीए में अंदरूनी असहमति की आँच अब पटना की सियासत को तपाने लगी है।
सोमवार को एनडीए की साझा प्रेस कांफ्रेंस भी इसी विवाद के चलते स्थगित कर दी गई, जिसके बाद अटकलों का बाज़ार गर्म हो गया कि गठबंधन में सबकुछ ठीक नहीं है। हम (सेक्युलर) प्रमुख जीतनराम मांझी ने भी साफ़ कहा कि सीटें मनमाफिक नहीं मिलीं, मगर हम प्रधानमंत्री मोदी के साथ हैं।
अब देखना यह है कि अमित शाह की संभावित मध्यस्थता के बाद यह सियासी तूफ़ान थमता है या और तेज़ होता है।