Bihar Vidhansabha Chunav 2025: राहुल की ख़ामोशी में सियासी तूफ़ान, बिहार में तेजस्वी का बढ़ता क़द, कांग्रेस में बेचैनी, गठबंधन में नई हलचल

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासत में इस वक़्त सबसे बड़ा सवाल यही है कि विपक्ष के मुखिया राहुल गांधी अब तक चुनावी मैदान में क्यों नहीं उतरे।

राहुल की ख़ामोशी में सियासी तूफ़ान- फोटो : social Media

Bihar Vidhansabha Chunav 2025: बिहार की सियासत में इस वक़्त सबसे बड़ा सवाल यही है कि विपक्ष के मुखिया राहुल गांधी अब तक चुनावी मैदान में क्यों नहीं उतरे। जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव की तारीख़ नज़दीक आती जा रही है, कांग्रेस खेमे में हलचल बढ़ती जा रही है। पार्टी के कई उम्मीदवारों ने दिल्ली दरबार तक संदेश भेज दिया है कि राहुल गांधी की मौजूदगी के बिना ज़मीनी स्तर पर जनाधार जुटाना मुश्किल साबित हो रहा है।

राहुल गांधी ने आख़िरी बार एक सितंबर को पटना में अपनी “वोटर अधिकार यात्रा” के समापन कार्यक्रम में शिरकत की थी। यह यात्रा पंद्रह दिनों में 1,300 किलोमीटर का सफ़र तय कर बीस ज़िलों तक पहुंची थी। लेकिन उसके बाद से राहुल बिहार की ज़मीन पर क़दम नहीं रख पाए हैं। इस बीच आरजेडी नेता तेजस्वी यादव दिल्ली पहुंचे और वहाँ उन्होंने महागठबंधन की बैठकों में ख़ुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार घोषित करने की मांग रख दी।

कांग्रेस नेतृत्व शुरू में इस पर हामी भरने से कतराता रहा। वजह थी  तेजस्वी यादव पर नया चार्जशीट दर्ज होना। कांग्रेस को डर था कि ऐसे समय में तेजस्वी को चेहरा घोषित करना राजनीतिक तौर पर आत्मघाती साबित हो सकता है। मगर हालात तब बदले जब कांग्रेस आलाकमान ने राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पटना रवाना किया। गहलोत ने लालू प्रसाद यादव से मुलाक़ात की और फिर प्रेस कॉन्फ़्रेंस में औपचारिक ऐलान किया कि “इंडिया गठबंधन” की ओर से तेजस्वी यादव ही मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे।

इसके साथ ही, गठबंधन ने वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी को उपमुख्यमंत्री बनाने का वादा किया है। गहलोत ने प्रेस वार्ता में कहा कि “अन्य सामाजिक व धार्मिक तबकों” को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा, मगर सत्ताधारी एनडीए इस पर सवाल उठा रहा है कि 17 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी के बावजूद विपक्ष ने समुदाय की उपेक्षा की है।

साफ़ है  बिहार की फ़िज़ा में अब एक नई गर्मी घुल चुकी है। राहुल गांधी की चुप्पी, तेजस्वी का उभार और कांग्रेस की रणनीतिक उलझन ने महागठबंधन की राजनीति को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। अब नज़रें टिकी हैं राहुल गांधी के अगले सप्ताह प्रस्तावित दौरे पर  जो इस सियासी बिसात का असली पासा पलट सकता है।