Bihar Vidhansabha chunav 2025: भाजपा में बगावत से बढ़ी सियासी गर्मी ,महागठबंधन और एनडीए दोनों के लिए नई चुनौती

Bihar Vidhansabha chunav 2025: महागठबंधन और एनडीए दोनों ही खेमों में सीट बंटवारे को लेकर गहमागहमी का माहौल है, वहीं बग़ावत ने भाजपा के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं।....

भाजपा में बगावत से बढ़ी सियासी गर्मी- फोटो : X

Bihar Vidhansabha chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सियासी सरगर्मी अपने चरम पर है। महागठबंधन और एनडीए दोनों ही खेमों में सीट बंटवारे को लेकर गहमागहमी का माहौल है, वहीं भागलपुर से निकली बग़ावत ने भाजपा के लिए नई मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। भाजपा ने जैसे ही रोहित पांडे के नाम की घोषणा की, पार्टी के भीतर असंतोष खुलकर सामने आ गया। पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे ने बग़ावती तेवर अख़्तियार कर लिए हैं।

सूत्रों के मुताबिक अर्जित चौबे के समर्थक नामांकन रसीद (एनआर) कटवा चुके हैं और 17 अक्टूबर को वे निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरने वाले हैं। समर्थकों का कहना है कि अर्जित चौबे ने कोरोना काल में जनता की खिदमत की, संगठन में भी सक्रिय रहे, इसलिए टिकट का हक़ उन्हीं को मिलना चाहिए था। लेकिन पार्टी ने उन्हें नज़रअंदाज़ कर दिया, जिससे कार्यकर्ताओं में गहरा रोष है।

राजनीतिक हलक़ों में ये चर्चा गर्म है कि भाजपा का यह फ़ैसला संगठन के भीतर खींचतान को उजागर करता है। 2015 में अर्जित चौबे भाजपा प्रत्याशी रहे और लगभग 60 हज़ार वोट पाए, लेकिन जीत कांग्रेस के अजीत शर्मा के हिस्से गई। 2020 में भाजपा ने रोहित पांडे को मौका दिया, पर हार का सिलसिला नहीं टूटा। अब 2025 में एक बार फिर वही उम्मीदवार सामने आने से स्थानीय कार्यकर्ताओं का असंतोष उभर आया है।

इधर खबर है कि भाजपा नेत्री प्रीति शेखर और नेता प्रशांत विक्रम भी असंतुष्ट हैं और निर्दलीय रूप से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि, उन्होंने अभी तक औपचारिक एलान नहीं किया है।

भागलपुर सीट को भाजपा और आरएसएस का पारंपरिक गढ़ माना जाता है। अश्विनी चौबे यहां से छह बार विधायक रह चुके हैं। बावजूद इसके, पार्टी पिछले तीन विधानसभा चुनावों में पराजय झेल चुकी है। अब देखना यह होगा कि बग़ावत के इस दौर में भाजपा अपने पारंपरिक वोट बैंक को संभाल पाती है या नहीं।

वहीं, महागठबंधन की निगाहें भी इस सियासी उथल-पुथल पर टिकी हैं। तेजस्वी यादव और राहुल गांधी की जोड़ी इस स्थिति को भुनाने की रणनीति बना रही है। भागलपुर की यह जंग अब सिर्फ़ एक सीट की नहीं, बल्कि बिहार की सियासत का नया इम्तिहान बन चुकी है।