Jharkhand News: भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड के मंत्री को मिली डॉक्टरेट की उपाधि को बताया अवैध, कहा फर्जी विश्व विश्वविद्यालय से मिली है उपाधि

Jharkhand News: भारतीय जनता पार्टी ने राज्य के मंत्री हफीजुल हसन अंसारी को मिली डॉक्टरेट की उपाधि पर सवाल उठाते हुए कहा है कि जिस विश्व विद्यालय के द्वारा यह उपाधि दी गई है, वह एक फर्जी विश्व विद्यालय है।

Jharkhand News: भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड के मंत्री को मिली डॉक्टरेट की उपाधि को बताया अवैध, कहा फर्जी विश्व विश्वविद्यालय से मिली है उपाधि
भारतीय जनता पार्टी ने झारखंड के मंत्री को मिली डॉक्टरेट की उपाधि को बताया अवैध- फोटो : SOCIAL MEDIA

Ranchi: झारखंड की भाजपा ईकाई ने राज्य के मंत्री हफीजुल हसन अंसारी को मिली डॉक्टरेट की उपाधि को फर्जी बताया है। इस मुद्दे पर अपनी बात रखते हुए भाजपा प्रवक्ता अजय साह ने कहा कि मंत्री हफीजुल अंसारी को मिली डॉक्टरेट की डिग्री एक फर्जी विश्वविद्यालय से प्राप्त की गई है। उन्होंने कहा कि मंत्री को डॉक्टरेट की मानद उपाधि देने वाली संस्था “भारत वर्चुअल ओपन एजुकेशनल यूनिवर्सिटी” को अपने नाम के साथ विश्वविद्यालय शब्द का प्रयोग करने का भी अधिकार नहीं है। इस संस्था को किसी भी प्रकार की शैक्षणिक उपाधि प्रदान करने की मान्यता ही नहीं है।

शरीयत कानून के अनुसरण का लगाया आरोप

अजय साह ने मंत्री हफीजुल अंसारी पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि मंत्री जी  भारतीय संविधान के तहत संचालित मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त नहीं कर पाए। अब वे शरीयत कानून का अनुसरण करते हुए ऐसे लोगों द्वारा संचालित एक फर्जी विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि हासिल कर ली, जो महज एक कागजी संस्था है।

मुस्लिम समुदाय के द्वारा है संचालित


उन्होंने आरोप लगाया कि यह संस्था मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों द्वारा संचालित की जाती है और इसका कोई वैधानिक अस्तित्व नहीं है। साह ने यह भी दावा किया कि यह फर्जी विश्वविद्यालय “सेंट्रल क्रिश्चियन यूनिवर्सिटी, अफ्रीका” से अपनी संबद्धता बताता है, जबकि इस विश्वविद्यालय के चांसलर डॉ. उस्मान को इस्लामाबाद, पाकिस्तान की एक संस्था द्वारा प्रोफेसर की उपाधि प्रदान की गई थी।

उच्चस्तरीय जांच की मांग की 

उन्होंने कहा कि मंत्री हफीजुल अंसारी की उपाधि का पूरा नेटवर्क पाकिस्तान से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है। साह ने यह भी आरोप लगाया कि मंत्री का आचरण यह दर्शाता है कि वह अपने कार्यों और निर्णयों में भारतीय संविधान की अपेक्षा शरीयत कानून को प्राथमिकता देते हैं। अजय साह ने मांग की कि इस पूरे प्रकरण में पाकिस्तान लिंक की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि सच सामने आ सके और अगर कोई कानून का उल्लंघन हुआ हो तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके।


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