अब बिना डोनर मिलेगा खून, अस्पतालों की मनमानी पर रोक, हाईकोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

झारखंड हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक आदेश देते हुए अस्पतालों में बिना डोनर रक्त उपलब्ध कराना अनिवार्य कर दिया है। साथ ही हर जिले में 3 महीने के भीतर ब्लड सेपरेशन यूनिट लगाने के निर्देश दिए हैं।

Ranchi - झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य की रक्त संचार व्यवस्था में व्याप्त खामियों पर कड़ा प्रहार करते हुए एक दूरगामी आदेश दिया है। अदालत ने स्पष्ट कर दिया है कि अब सरकारी या निजी अस्पताल मरीजों के परिजनों से रक्त या डोनर की मांग नहीं कर सकेंगे। राष्ट्रीय रक्त नीति का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि बिना रिप्लेसमेंट के मरीजों को खून उपलब्ध कराना अस्पतालों की जिम्मेदारी है। परिजनों को रक्त के लिए मजबूर करना न केवल अमानवीय है, बल्कि यह जीवन के अधिकार का भी उल्लंघन है।

तीन महीने में हर जिले में लगेगी ब्लड सेपरेशन यूनिट (BCS) 

राज्य में तकनीकी सुविधाओं के अभाव पर चिंता जताते हुए हाईकोर्ट ने सरकार और राज्य रक्त आधान परिषद (SBTC) को कड़ा निर्देश दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि आगामी तीन माह के भीतर झारखंड के सभी जिलों में 'ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट' स्थापित की जाए। वर्तमान में केवल तीन जिलों में यह सुविधा होने के कारण मरीजों को प्लेटलेट्स या प्लाज्मा के लिए रांची जैसे बड़े शहरों की ओर भागना पड़ता है, जिससे इलाज में देरी होती है और जान का जोखिम बढ़ जाता है।

स्वैच्छिक रक्तदान से होगा 100% रक्त संग्रह 

अदालत ने राज्य में 'रिप्लेसमेंट डोनेशन' की असुरक्षित परंपरा को खत्म कर 100 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान पर जोर दिया है। जुलाई से सितंबर 2025 के आंकड़ों पर नाराजगी जताते हुए कोर्ट ने कहा कि महज 13 से 25 प्रतिशत स्वैच्छिक रक्तदान होना चिंताजनक है। अब निजी अस्पतालों और ब्लड बैंकों को अपनी जरूरत पूरी करने के लिए खुद रक्तदान शिविर आयोजित करने होंगे, ताकि रक्त का स्टॉक हमेशा बना रहे और आम जनता पर बोझ न पड़े।

थैलेसीमिया और सिकल सेल मरीजों के लिए विशेष निर्देश 

कोर्ट ने डे-केयर सेंटरों की बदहाली और थैलेसीमिया व सिकल सेल एनीमिया के मरीजों को होने वाली दिक्कतों पर भी संज्ञान लिया। रिपोर्ट में सामने आया कि कई जिलों में जरूरी दवाएं जैसे आयरन चेलेटर और हाइड्राक्सीयूरिया उपलब्ध नहीं हैं। अदालत ने सभी केंद्रों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के दिशानिर्देशों के अनुरूप पूरी तरह कार्यशील बनाने का आदेश दिया है, ताकि इन गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को समय पर और मुफ्त इलाज मिल सके।

बदलेगी झारखंड की स्वास्थ्य प्रणाली 

हाईकोर्ट के इस सख्त रुख के बाद स्वास्थ्य विभाग में हलचल तेज हो गई है। यह आदेश झारखंड में स्वास्थ्य सेवाओं को अधिक पारदर्शी और मरीज-अनुकूल बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। अब अस्पतालों को अपनी कार्यप्रणाली बदलनी होगी और यह सुनिश्चित करना होगा कि रक्त की कमी के कारण किसी भी मरीज का इलाज न रुके। इस फैसले से विशेषकर आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।