1986 में कटा गया था पहला Indian Railways का कंप्यूटर आधारित टिकट
19 फरवरी 1986 को भारतीय रेलवे ने नई दिल्ली स्टेशन पर पहला कंप्यूटर आधारित टिकट रिजर्वेशन सिस्टम शुरू किया। इससे पहले टिकट बुकिंग पूरी तरह मैन्युअल थी, जो समय लेने वाली और मुश्किल प्रक्रिया थी। इस सिस्टम ने यात्रा को बेहद आसान और तेज बना दिया।

भारतीय रेलवे, जो दुनिया के सबसे बड़े रेल नेटवर्क में से एक है, ने 19 फरवरी 1986 को एक ऐतिहासिक कदम उठाया। इस दिन नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहली बार कंप्यूटर आधारित टिकट रिजर्वेशन सिस्टम (Computerized Reservation System) की शुरुआत की गई। इस प्रणाली ने भारतीय रेलवे की टिकट बुकिंग प्रक्रिया को पूरी तरह बदल दिया और इसे न केवल तेज, बल्कि अधिक सुविधाजनक और सही बना दिया। आइए जानते हैं, इस बदलाव के पीछे की कहानी।
मैन्युअल सिस्टम की चुनौतियां
कंप्यूटर आधारित सिस्टम से पहले, टिकट बुकिंग पूरी तरह से मैन्युअल तरीके से होती थी। इस प्रक्रिया में यात्रियों को एक फॉर्म भरना पड़ता था, जिसमें यात्रा की तारीख, गंतव्य स्थान, और अन्य आवश्यक जानकारी दी जाती थी। जब यात्री टिकट के लिए काउंटर पर जाते थे, तो उन्हें लंबी लाइन में खड़ा होना पड़ता था। साथ ही, रजिस्टर में सीट की उपलब्धता की जांच की जाती थी, और अगर सीट उपलब्ध होती, तो टिकट जारी किया जाता था। यह प्रक्रिया समय लेने वाली और थकाऊ थी। इसके अलावा, अगर किसी यात्री को अपनी यात्रा की तारीख पर सीट नहीं मिलती, तो उन्हें अगली तारीख के लिए आवेदन करना पड़ता था।
कंप्यूटराइज्ड सिस्टम की शुरुआत
19 फरवरी 1986 को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कंप्यूटर आधारित टिकट रिजर्वेशन सिस्टम की शुरुआत ने इस पूरी प्रक्रिया को बदल दिया। इस नए सिस्टम के तहत, यात्रियों को अब लंबी लाइनों में खड़ा होने की आवश्यकता नहीं थी। यह सिस्टम यात्रियों को कुछ ही मिनटों में अपने टिकट बुक करने की सुविधा प्रदान करता था। इसके अलावा, यह प्रणाली अधिक सटीक और बिना किसी गलती के काम करती थी। पहले जहां मैन्युअल प्रणाली में अधिक समय लगता था, वहीं कंप्यूटराइज्ड सिस्टम ने बुकिंग प्रक्रिया को त्वरित और प्रभावी बना दिया।
टेलीग्राम और डाक सेवा का उपयोग
कंप्यूटर आधारित सिस्टम के आने से पहले, यदि किसी यात्री का बुकिंग स्टेशन और यात्रा स्टेशन अलग होते थे, तो रेलवे टेलीग्राम के माध्यम से बुकिंग स्टेशन से यात्रा स्टेशन तक जानकारी भेजता था। इसके अलावा, टिकट डाक के माध्यम से यात्री के घर भेजे जाते थे, जिससे कई दिनों का समय लगता था। इस प्रक्रिया में कई बार देरी हो सकती थी, जो यात्रा की योजना में विघ्न डालती थी।
इंटरनेट टिकटिंग का युग
2002 में भारतीय रेलवे ने इंटरनेट टिकटिंग सेवा की शुरुआत की, जिससे यात्रियों के लिए टिकट बुकिंग और भी आसान हो गया। यात्री अब ऑनलाइन वेबसाइट के माध्यम से अपना टिकट बुक कर सकते थे, और बाद में डाक से उनका टिकट घर भेजा जाता था। इसके बाद, 2005 में ई-टिकटिंग की शुरुआत हुई, जिससे यात्री सीधे इंटरनेट से ही अपना टिकट डाउनलोड कर सकते थे। इसके लिए भारतीय रेलवे ने आईआरसीटीसी (IRCTC) की स्थापना की, जो 1999 में भारतीय रेलवे के खानपान और पर्यटन विभाग के तहत शुरू किया गया था।
निष्कर्ष
1986 में कंप्यूटर आधारित टिकट रिजर्वेशन सिस्टम की शुरुआत ने भारतीय रेलवे की टिकट बुकिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल दिया। आज इंटरनेट और ई-टिकटिंग के माध्यम से यात्रियों के लिए टिकट बुकिंग और भी आसान हो गई है। भारतीय रेलवे ने अपने इतिहास में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं, और ये बदलाव यात्रियों के अनुभव को बेहतर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हुए हैं।