मकर संक्रांति 2025: पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का विशेष संयोग, 19 सालों बाद मनेगी मकर संक्रांति

मकर संक्रांति 2025 पर पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के विशेष संयोग के साथ गंगा स्नान और दान-पुण्य का महत्व जानें। ज्योतिषीय दृष्टि से इस दिन का पुण्यकाल विशेष होगा।

मकर संक्रांति 2025: पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र का विशेष संयोग, 19 सालों बाद मनेगी मकर संक्रांति
मकर संक्रांति 2025 - फोटो : freepik

Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति, जिसे सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के रूप में जाना जाता है, इस वर्ष 14 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन गंगा स्नान और दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। ज्योतिषाचार्य राकेश झा के अनुसार, इस वर्ष पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र के दुर्लभ संयोग के साथ भौम-पुष्य योग का भी निर्माण हो रहा है। यह योग शुभता, धन-संपदा, और आध्यात्मिक विकास का प्रतीक माना जाता है।

मकर संक्रांति का महत्व और पूजा विधि

मकर संक्रांति पर गंगा स्नान और सूर्य को अर्घ्य देने की परंपरा है। इस दिन विशेष रूप से सत्यनारायण कथा, भागवत पाठ, और आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया जाता है। दान-पुण्य के कार्य जैसे अन्न, वस्त्र, और गौ सेवा को इस दिन विशेष फलदायी माना गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन नारायण की उपासना करने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।

राशियों के अनुसार दान-पुण्य के उपाय

मकर संक्रांति के दिन प्रत्येक राशि के लिए विशेष दान-पुण्य के उपाय बताए गए हैं। इन उपायों के अनुसार दान करने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। यहां कुछ प्रमुख राशियों के लिए उपाय दिए गए हैं:

मेष: तिल-गुड़ का दान और जल में हल्दी मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।

वृषभ: दूध और सफेद चंदन के साथ सूर्य को अर्घ्य और श्वेत पुष्पों का दान करें।

मिथुन: दूर्वा और तिल मिलाकर सूर्य को अर्घ्य और गाय को हरा चारा दें।

कर्क: दूध और अक्षत मिलाकर सूर्य को अर्घ्य और चावल का दान करें।

सिंह: लाल फूल और तिल के साथ सूर्य को अर्घ्य और सोने का दान करें।

कन्या: खिचड़ी का दान और गाय को चारा देना शुभ माना जाता है।

तुला: सफेद चंदन और दूध मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।

वृश्चिक: लाल फूलों के साथ सूर्य को अर्घ्य और तिल-गुड़ का दान करें।

धनु: पीले पुष्प और हल्दी के साथ सूर्य को अर्घ्य देना शुभ रहेगा।

मकर: गरीबों को भोजन दान करें और नीले पुष्पों के साथ सूर्य को अर्घ्य दें।

कुंभ: नीले फूल और काला उड़द मिलाकर सूर्य को अर्घ्य दें।

मीन: हल्दी और केसर मिलाकर सूर्य को अर्घ्य और सरसों का दान करें।

भौम-पुष्य योग का महत्व

भौम-पुष्य योग एक दुर्लभ संयोग है जो इस वर्ष मकर संक्रांति के दिन बन रहा है। यह योग सुबह 10:41 बजे से शुरू होगा और पूरे दिन विद्यमान रहेगा। इस योग में किया गया दान और धर्मकृत्य दीर्घकालिक फलदायी होता है। पुष्य नक्षत्र को ऋग्वेद में वृद्धि कर्ता और सुख-समृद्धि देने वाला बताया गया है।

मकर संक्रांति 2025 एक विशेष ज्योतिषीय संयोग

मकर संक्रांति 2025 एक विशेष ज्योतिषीय संयोग के साथ मनाई जा रही है। इस दिन गंगा स्नान, दान-पुण्य, और धार्मिक अनुष्ठानों का महत्व विशेष रूप से बताया गया है। इस पवित्र दिन पर शुभ कार्यों में भाग लेने से कई गुना पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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