रिटायर्ड होने से पहले CJI चंद्रचूड़ ने कौन कौन 5 बड़े फैसले सुनाए..जिसका प्रभाव आने वाले दिनों में खूब रहेगा
CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल न्यायिक प्रणाली में नागरिक-केंद्रित सुधार लाने, न्यायिक पहुंच बढ़ाने, महिलाओं के अधिकार, लैंगिक समानता, और विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को संरक्षण देने के लिए जाना जाएगा।
CJI चंद्रचूड़: भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डॉ. धनंजय वाई. चंद्रचूड़, 10 नवंबर को रिटायर होने वाले हैं। उनके पास सुप्रीम कोर्ट में काम करने के लिए सिर्फ 5 दिन का वक्त बाकी हैं। इस दौरान CJI चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में कई प्रभावशाली फैसलों के माध्यम से भारतीय न्यायपालिका में बड़े बदलाव किए हैं। उनके कार्यकाल में न्यायिक पहुंच, प्रौद्योगिकी का समावेश, और प्रशासनिक दक्षता में सुधार के प्रयास हुए। उनके कार्यकाल के अंतिम दिनों में वे पांच प्रमुख मामलों पर ध्यान केंद्रित करेंगे, जिनमें से सभी का निर्णय 4 नवंबर से 8 नवंबर के बीच आने की संभावना है।
1. मदरसा शिक्षा की वैधता
मामला: उत्तर प्रदेश में मदरसों की वैधता को चुनौती देने वाले मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में निर्णय सुरक्षित रखा था। यह मामला उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को रद्द करने के फैसले से संबंधित है, जिसे इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गैर-धर्मनिरपेक्ष मानते हुए निरस्त कर दिया था।
CJI का दृष्टिकोण: CJI चंद्रचूड़ ने धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को रेखांकित किया और कहा, "धर्मनिरपेक्षता का मतलब है जियो और जीने दो," जो सभी धार्मिक समुदायों के लिए समान महत्व रखता है। यह फैसला देश में धार्मिक शिक्षण संस्थानों की स्वायत्तता और उनके संचालन पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है।
2. अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) का अल्पसंख्यक दर्जा
मामला: AMU के अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर एक बहस चल रही है। सुप्रीम कोर्ट की सात न्यायाधीशों की संविधान बेंच इस पर विचार कर रही है, कि AMU को अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा दिया जाना चाहिए या नहीं। 1968 के अजीज बाशा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इसे एक केंद्रीय विश्वविद्यालय घोषित किया था।
केंद्र का तर्क: केंद्र सरकार का मानना है कि राष्ट्रीय महत्व के किसी संस्थान को अल्पसंख्यक घोषित करना उचित नहीं है। यह निर्णय अल्पसंख्यक संस्थानों के अधिकारों पर व्यापक प्रभाव डाल सकता है।
3. संपत्ति के पुनर्वितरण पर अनुच्छेद 39 (बी) की व्याख्या
मामला: संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) की व्याख्या पर यह सुनवाई हो रही है, जो संपत्ति के पुनर्वितरण से संबंधित है। सुप्रीम कोर्ट की नौ न्यायाधीशों की बेंच यह तय कर रही है कि सरकार निजी संपत्तियों को व्यापक सार्वजनिक हित में पुनर्वितरित कर सकती है या नहीं।
महत्व: यह निर्णय संपत्ति के पुनर्वितरण, समान वितरण, और सरकारी अधिकारों को परिभाषित करेगा। वर्तमान राजनीतिक संदर्भ में, यह मुद्दा अधिक चर्चा में है, खासकर संपत्ति सर्वेक्षण और समान वितरण पर जोर के चलते।
4. दिल्ली रिज में अवैध ट्री फेलिंग विवाद
मामला: यह विवाद दिल्ली के रिज क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई से संबंधित है, जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना की भूमिका पर भी सवाल उठे हैं। LG ने अदालत में दावा किया कि उन्हें पेड़ों की कटाई पर अदालत की अनुमति की आवश्यकता के बारे में जानकारी नहीं थी।
CJI का निर्णय पर दृष्टिकोण: सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से यह स्पष्ट करने के लिए कहा है कि पेड़ों की अवैध कटाई के बारे में उन्हें कब पता चला। इस निर्णय का उद्देश्य पर्यावरणीय संरक्षण के प्रति सरकारी जवाबदेही और अधिकारियों की भूमिका को सुनिश्चित करना है।
5. लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस का दायरा
मामला: यह मामला इस सवाल पर आधारित है कि क्या लाइट मोटर व्हीकल (LMV) लाइसेंस धारक 7,500 किलोग्राम से अधिक वजन वाले परिवहन वाहनों को चला सकते हैं। यह निर्णय बीमा कंपनियों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, क्योंकि इससे एलएमवी लाइसेंस धारकों द्वारा संचालित भारी वाहनों से जुड़ी दुर्घटनाओं में बीमा दावा विवादों पर असर पड़ेगा।
महत्व: अदालतों द्वारा एलएमवी लाइसेंस की कानूनी सीमाओं की अनदेखी के चलते, बीमा कंपनियों ने कई मामलों में पॉलिसीधारकों के पक्ष में निर्णयों पर चिंता जताई है।
CJI चंद्रचूड़ का योगदान और कार्यकाल की उपलब्धियाँ
CJI चंद्रचूड़ का कार्यकाल न्यायिक प्रणाली में नागरिक-केंद्रित सुधार लाने, न्यायिक पहुंच बढ़ाने, महिलाओं के अधिकार, लैंगिक समानता, और विकलांग व्यक्तियों के अधिकारों को संरक्षण देने के लिए जाना जाएगा। उनका योगदान आने वाले न्यायिक सुधारों और न्यायिक कार्यक्षमता को नई दिशा देने में महत्वपूर्ण माना जाता है।