बिहार में अमित शाह दोहराएंगे उत्तर प्रदेश का इतिहास ! पांच महीने में तीसरी बार बिहार आने का मतलब समझिए, भाजपा की रणनीति

पटना. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह शनिवार को बिहार के एक दिवसीय दौरे पर आए. उनका यह दौरा बेतिया और पटना का है. राजनीतिक रूप से भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण माने जा रहे बिहार में अमित शाह अगले लोकसभा चुनाव के पहले पार्टी को सशक्त करने की जुगत में हैं. इसे समझने के लिए पिछले पांच –छह महीनों को देखना होगा. पिछले 5 महीने के दौरान अमित शाह तीसरी बार बिहार के दौरे पर हैं. इसके पहले वे 23 और 24 सितम्बर 2022 को किशनगंज और पूर्णिया के दो दिवसीय दौरे पर आए थे. उसके 20 दिनों के बाद 12 अक्टूबर को अमित शाह को फिर से जेपी की जयंती पर सिताबदियारा आए. अब फिर से बेतिया और पटना के दौरे पर हैं. 

भाजपा सूत्रों की मानें तो अमित शाह चाहते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव में बिहार में भाजपा का प्रदर्शन वैसा ही रहे जैसा 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने किया था. तब अमित शाह उत्तर प्रदेश में भाजपा के प्रभारी थे. शाह की रणनीतियों का बड़ा असर यूपी में दिखा. 2014 में यूपी में 80 लोकसभा सीटों में 76 पर बीजेपी (एनडीए) को जीत मिली. इसके पीछे मुख्य रूप से अमित शाह की चुनावी रणनीति को माना गया. शाह अब वही कारनामा बिहार में चाहते हैं. 

बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं. 2024 में भाजपा की कोशिश ज्यादातर सीटों पर जीत हासिल करने की है. इसके लिए अमित शाह अभी से इस कोशिश को साकार करने में लग गए हैं. शाह ने रणनीति के तहत ही पहले बिहार के सीमांचल में दो दिन का दौरा किया. सीमांचल को अल्पसंख्यक बहुल इलाका माना जाता है. ऐसे में महागठबंधने के कोर वोटबैंक माने जाने वाले अल्पसंख्यक बिरादरी में सेंधमारी और हिंदू वोटों को भाजपा के पक्ष में गोलबंदी के रूप में शाह का पूर्णिया –किशनगंज दौरा देखा गया. 

इसी तरह जेपी की जयंती पर सिताबदियारा जाना भी लोक नायक जयप्रकाश के अनुयायी समर्थकों को भाजपा के पक्ष में लाना माना गया. अब अमित शाह स्वामी सहजानंद सरस्वती की जयंती पर पटना आ रहे हैं तो यह भी एक तरह से भूमिहार वोटों को गोलबंद करने की जुगत के रूप में माना जा रहा है. राजनितीक जानकारों का कहना है कि अमित शाह अगले कुछ महीनों में इसी तरह बिहार पर नजर बनाए रखेंगे. वे खुद बिहार में भाजपा को उन मोर्चों पर मजबूत करने की कोशिश करेंगे जो पार्टी को सशक्त करे. 

साथ ही नीतीश कुमार और महागठबंधन में शामिल अन्य दलों और उनके नेताओं के खिलाफ भी अमित शाह मुखर रह सकते हैं. ऐसे में आने वाले समय में अमित शाह का इसी तरह बिहार का दौरा और अलग अलग इलाकों, जातियों और संगठनों को साधने की कोशिश दिख सकती है.