'अतीक' के लिए मीडिया की बत्ती...'बृज बिहारी' के लिए लाल बत्ती ! राबड़ी राज में कैदी रहे बाहुबली पूर्व 'मंत्री' की भारी सुरक्षा के बाद भी AK-47 से भून दिया गया था

PATNA: यूपी के माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की पुलिस रिमांड व पुलिस की भारी मौजूदगी में अपराधियों ने हत्या कर दी. इस घटना के बाद देश भर के विपक्षी दल उत्तरप्रदेश की योगी सरकार पर गंभीर सवाल खड़े कर रहे हैं. वैसे पूर्व सांसद अतीक पूर्व विधायक अशरफ की हत्या कोई पहली घटना नहीं हैं. आज भले ही सीएम नीतीश कुमार व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव अतीक-अशरफ की हत्या पर यूपी की योगी सरकार पर सवाल खड़े कर रहे हों, लेकिन बिहार में इस तरह की घटना हो चुकी है. तेजस्वी यादव की मां राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहने के दौरान ही उन्हीं की कैबिनेट के पूर्व मंत्री की भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बीच राजधानी पटना में ही हत्या हो गई थी. 

तीन सामने है पर कम से कम 10 सहायक के तौर पर होंगे  

बिहार के वरिष्ठतम आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय तब बिहार में हुई उस घटना की याद दिलाते हैं. सोशल मीडिया पर उन्होंने अतीक-अशरफ की पुलिस रिमांड में हत्या और कुछ उसी तरह से पूर्व मंत्री की हत्या के बारे में अपनी बात रखी है. सीनियर आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय कहते हैं,''अतीक- अशरफ हत्याकांड के घटना स्थल, अपराध शैली और पुलिस की उपस्थिति में निश्चिंत होकर सफल लक्ष्य वेध करने वाले 3 अपराधियों के पीछे न्यूनतम 10 अपराधियों का सहायक सशस्त्र दस्ता अवश्य रहा होगा, जो वहां उपस्थित पुलिस कर्मियों के द्वारा हस्तक्षेप किए जाने पर पुलिस पर हमला करता. चूंकि ऐसा अवसर नहीं मिला, इसलिए उन सहायकों पर सारी व्याख्याएं मौन हैं.अब ये सारी बातें जांच के बाद ही स्पष्ट हो पाएंगी.फिलहाल सत्य यह है कि पुलिस रिमांड में पुलिस की उपस्थिति में अतीक-अशरफ की गोली मारकर हत्या कर दी गई'' . 

अतीक की हत्या में मीडिया की बत्ती..बृज बिहारी की हत्या में लाल बत्ती का हुआ था प्रयोग 

आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय आगे लिखते हैं कि ''ठीक ऐसी ही अपराध शैली में 1998 में बिहार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद को पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के परिसर में टहलते हुए लाल बत्ती वाली कार में आए हुए अपराधियों ने AK 47 रायफल की गोलियां चलाकर मार डाला था.अतीक की हत्या के लिए मीडिया की बत्ती का प्रयोग किया गया था. बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के लिए लाल बत्ती का प्रयोग हुआ था.दोनों ही हत्याकांडों में सशस्त्र पुलिस, घटना स्थल पर उपस्थित था, किंतु अपराधियों को लक्ष्य वेध से रोक नहीं सका.ऐसी घटनाएं समाज के लिए चिंता का विषय बनती ही हैं. शासन तंत्र के लिए भी आत्मनिरीक्षण और परिशोधन का विषय भी होती हैं .अतीक हत्याकांड के लिए SIT और न्यायिक जांच का आदेश हो चुका है. जांच का परिणाम पुलिस के लिए अवश्य लाभप्रद होगा. क्योंकि पुलिस अपनी अभिरक्षा में रहने वाले अपराधियों को ऐसे घातक आक्रमणों से बचाने में अधिक दक्ष हो पाएगी...ऐसी आशा है. फिलहाल, इस घटना की अपराध शैली, पुलिस के लिए वीआईपी सुरक्षा के समय विशेष चिंता का बिंदु होना चाहिए. 

भारी सुरक्षा बंदोबस्त के बाद भी बिहार में बड़े नेता की हो चुकी है हत्या 

बता दें, 1998 में बृज बिहारी प्रसाद राबड़ी देवी की सरकार में मंत्री थे .मुजफ्फरपुर के भुटकुन शुक्ला की हत्या हुई थी. इसके बाद इन पर खतरा और भी बढ़ गया था. इसी बीच 1998 में एडमिशन घोटाले में बृज बिहारी प्रसाद गिरफ्तार हो गए. बृज बिहारी प्रसाद अपनी गिरफ्तारी के बाद सीने में दर्द होने की बात कह कर खुद को पटना के आईजीआईएमएस में भर्ती करा लिया. पुलिस की भारी सुरक्षा के बीच बृज बिहारी अस्पताल में भर्ती रहे. लालू प्रसाद के करीबी होने की वजह से बृज बिहारी का रुतबा भी जबरदस्त था  . उनको खुद भी खतरे का अंदेशा था. 13 जून 1998 को पटना के इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में सुरक्षा के भारी इंतजाम के बीच टहल रहे थे. इसी बीच एक लाल बत्ती लगी कार में यूपी का डॉन श्री प्रकाश शुक्ला अपने तीन साथियों के साथ घुसा. इसके बाद बृज बिहारी प्रसाद को एक.के- 47 से छलनी कर फरार हो गया. एक-47 की तड़तड़ाहट से आईजीआईएमएस में हड़कंप मच गया था. मंत्री की हत्या से न सिर्फ बिहार बल्कि देश में चर्चा का विषय बन गया था. मुख्यमंत्री रहने के दौरान राबड़ी देवी भी वहां पहुंची थी. बता दें, बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी वर्तमान में भाजपा से सांसद हैं. रमा देवी शिवहर से बीजेपी के टिकट पर दो बार से चुनाव जीतती आ रही हैं.