बिहार के आइटीआई को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस बनाएगी टाटा टेक्नोलॉजी, छात्रों को मिलेगा आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण

पटना। टाटा टेक्नोलॉजी बिहार के सभी 149 आईटीआइ को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के रूप में विकसित करेगा। प्रथम चरण में 6 ITI को चयनित किया गया है. इस संबंध मेंबिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (के समक्ष एक अणे मार्ग स्थित संकल्प में श्रम संसाधन विभाग ने प्रस्तुतीकरण दिया जिसमें राज्य के सभी 149 ITI में सेंटर ऑफ एक्सिलेंस स्थापित करने हेतु विस्तृत जानकारी दी गई.

प्रथम चरण में 6 ITI
 श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव मिहिर कुमार सिंह, टाटा टेक्नोलॉजी के उपाध्यक्ष सुशील कुमार एवं ग्लोबल एजुकेशन निदेशक पुष्करराज कॉलगुड ने प्रस्तुतीकरण में बताया कि बिहार के सभी 149 ITI में सेंटर आफ एक्सिलेंस बनाया जायेगा. उन्होंने बताया कि  सेंटर आफ एक्सिलेंस बनाये जाने के साथ ही एडवांस टेक्नोलॉजी में मशीन लर्निंग, इन्टरनेट ऑफ थिंग्स, ग्राफिक डिजाईन, रोबोटिक मेंटेनेन्स, इलेक्ट्रिकल इत्यादि की तकनीकों में मशीनें लगाकर इंडस्ट्री के सहयोग से राज्य के ITI को और उन्नत बनाया जायेगा. 

कुल 2,188 करोड़ रुपये होंगे खर्च
 श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार मिश्रा (Jivesh Mishra) ने बैठक में बताया कि सरकार इंडस्ट्री 4. के तहत प्रथम चरण में राज्य के 6 ITI को उन्नत बनाने का कार्य मार्च 2022 तक पूरा कर लेगी। उन्होंने बताया कि इस योजना पर कुल 2,188 करोड़ रुपये खर्च होंगे। जिसमें से 88 प्रतिशत राशि टाटा टेक्नोलॉजी के द्वारा जबकि बिहार सरकार द्वारा शेष 12 प्रतिशत राशि व्यय की जायेगी. वहीं श्रम संसाधन विभाग के प्रधान सचिव मिहिर कुमार सिंह ने बताया कि बिहार के ITI को उद्योगों के बदलते परिवेश को देखते हुए नई तकनीकों से लैस किया जायेगा, ताकि बिहार के युवा तकनीकी प्रशिक्षण के बाद सीधे उद्योगों की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें.

ऑनलाइन ट्रेनिंग के साथ-साथ फिजिकल ट्रेनिंग भी
 मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि सभी ITI संस्थानों में ऑनलाइन ट्रेनिंग (Online Training) के साथ-साथ फिजिकल ट्रेनिंग भी कराएं. जिन ITI भवनों का निर्माण अभी पूर्ण नहीं हुआ है उन्हें जल्द पूर्ण करें और उनमें संस्थान को शिफ्ट करें. जरुरत के मुताबिक ट्रेनरों की संख्या भी बढ़ाएं. उन्होंने कहा कि नई टेक्नोलाजी सीखने से छात्रों को बेहतर रोजगार मिल सकेगा साथ ही उद्योग क्षेत्र का भी विकास होगा. 

प्रत्येक ITI में 36.48 करोड़ रूपये के औसतन व्यय से उन्हें सेंटर ऑफ एक्सिलेंस बनाया जाएगा. इसे हब एंड स्पोक मॉडल के आधार पर स्थापित किया जाएगा और इन सात क्षेत्रों में (1) इलेक्ट्रिक वाहन प्रशिक्षण, (2) आईओटी और डिजिटल इंस्ट्रूमेंटेशन, (3) मशीनिंग और विनिर्माण एडवाइजर, (4) आर्क वेल्डिंग औद्योगिक रोबोटिक्स, (5) आईटी और डिजाइन, (6) सभी प्रकार की मरम्मत और रखरखाव और (7) आधुनिक प्लम्बिंग में कार्य किया जायेगा.