प्रचार के लिए CM नीतीश ने 'खजाने' का मुंह खोला...पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा ! विज्ञापन से रंगे हैं बिहार के अखबार...फिर भी संतोष नहीं ?

प्रचार के लिए CM नीतीश ने 'खजाने' का मुंह खोला...पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा ! विज्ञापन से रंगे हैं बिहार के अखबार...फिर भी संतोष नहीं ?

PATNA: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों हर भाषण में मीडिया पर आरोप लगाते नहीं थकते. आधे घंटे के अपने भाषण में 5-8 मिनट तक मीडिया पर ही बोलते हैं. मंच से मीडिया का उपहास उड़ाते हैं, मीडिया के बहाने केंद्र सरकार को कोसते हैं. आज फिर से नीतीश कुमार कुमार ने मीडिया को कोसा. मुख्यमंत्री ने फिर कहा कि हमारी बात मीडिया में नहीं छपती है,एक-दो लाइन में निबटा दिया जाता है. मीडिया को हमारा काम अब याद नहीं. जो काम नहीं करते, सिर्फ उन्हीं की खबर को अखबारों में जगह दी जाती है. उद्योग विभाग के जिस कार्यक्रम में मुख्य़मंत्री ने बातें कही हैं...उसी कार्यक्रम के मीडिया के माध्यम से प्रचार के लिए सरकारी खजाना खोल दिया गया है. अखबारों में नीतीश कुमार की तस्वीर के साथ पूरे पन्ने का रंगीन विज्ञापन जारी किया गया है. यानि एक-एक मीडिया संस्थानों को लाखों का विज्ञापन दिया गया. इतना ही नहीं, कार्यक्रम का लाइव प्रसारण दो टीवी चैनलों के माध्यम से कराया गया. यानि जनता की गाढ़ी कमाई का पैसा प्रचार-प्रसार पर खर्च किया जा रहा.  

प्रचार पर पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा 

उद्योग विभाग की तरफ से मुख्यमंत्री उद्धमी योजना के तहत एक दिवसीय उन्मुखीकरण एवं प्रथम किस्त वितरण समारोह के आयोजन पर पानी की तरह पैसे बहाये गए. विज्ञापन में लाखों-लाख रू खर्च किए गए. बिहार की कई अखबारों में पूरे पन्ने का रंगीन विज्ञापन जारी किया गया है. विज्ञापन में सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तस्वीरें लगी हैं. विज्ञापन में नीतीश सरकार की उद्धमी योजना का बखान किया गया है. बापू सभागार में आयोजित इसी कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मीडिया को खूब खऱी-खोटी सुनाई. कार्यक्रम में खबर कवरेज करने गए पत्रकारों की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि यह सब मीडिया वाला है. यह लोग लिखेगा बेचारा थोड़े ?  दिल्ली वाला कहेगा कि मत लिखो तो नहीं लिखेगा. इन लोगों की मजबूरी है,हम बोले हैं इसलिए मत लिखो. राज्य सरकार की बात को नहीं छापा जाता है . इन लोगों पर कब्जा कर लिया गया है. केंद्र वाला थोड़ा -बहुत काम करता है तो उसी का प्रचार करता है और हम लोगों वाला नहीं छापता है. मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पत्रकार लोगों को मेरी बात छापने में दिक्कत है, इसलिए हम आप लोगों से बात नहीं करते हैं.

राजद कोटे के मंत्री पर कसा तंज

उद्योग विभाग की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में सीएम नीतीश ने जुबान खोली तो लालू-राबड़ी राज से लेकर मीडिया और केंद्र सरकार की जमकर खिंचाई की. राजद कोटे से उद्योग मंत्री समीर कुमार महासेठ के बहाने नीतीश कुमार ने अपरोक्ष तौर पर लालू-तेजस्वी पर प्रहार किया. मुख्यमंत्री ने कहा कि हम डिपार्टमेंट से कहते हैं... आप( समीर महासेठ) मंत्री हैं . आप हमारी बात सुनते रहिएगा, तभी तेजी से काम संभव है. उद्यमी योजना की चर्चा करते हुए कहा कि यह सब मेरा आईडिया है. पहले कुछ था ?  हम ही ना शुरू किए हैं, 2005 से. हम जब से आए हैं तब से एक-एक काम कर रहे हैं. बहुत लोग अब भूलने लगा है कि यह सब काम हुआ है. इसलिए हम सबको कह रहे हैं कि लोगों को बताते रहिए, नहीं तो सब लोग फोन पर ही डिपेंडेंट हो गया है. फोन पर ही देखते रहता है, उसमें जो खबर आएगी उसी को ना पढ़ेगा, हमारी बात को भूल जाएगा. 


बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिले 

सीएम नीतीश ने आज फिर से ऐलान किया है वे विशेष राज्य के दर्ज की मांग को लेकर अभियान शुरू करने वाले हैं. गांव-गांव जाकर यह डिमांड किया जाएगा कि विशेष राज्य का दर्जा दो. अगर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा मिल गया तो तेजी से विकास होगा. केंद्र  सरकार कोई काम नहीं कर रही, कोई मदद नहीं मिल रहा. अगर स्पेशल स्टेटस मिल गया तो बिहार के पिछड़े लोगों का दो सालों में ही विकास होंगे. मीडिया वाला हमारा छापता नहीं है. केंद्र ने मीडिया पर कब्जा कर लिया है. 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज बापू सभागार में  मुख्यमंत्री उद्यमी योजना के तहत एक दिवसीय उन्मुखीकरण,और प्रथम किस्त वितरण समारोह में शिरकत कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि हमने यही सभी तपके के उत्थान के लिए मुख्यमंत्री उद्यमी योजना की शुरूआत की है. इस योजना का अधिक से अधिक प्रचार करें ताकि लोग लाभ ले सकें. उन्होंने लगे हाथ अपने बड़े भाई लालू व राबड़ी राज पर भी सवाल खड़े कर दिए . कहा कि पहले कुछ यहां काम होता था...हम जब यहां आए तो सभी क्षेत्रों में काम शुरू कराया. नीतीश कुमार ने राजद कोटे के उद्योग मंत्री समीर महासेठ को सलाह देते हुए कहा कि हमारी बात को सुनिए,तभी काम हो पायेगा. पहले यहां क्या था...हम जब 2005 में यहां आये तब जाकर इस तरह की योजनाओं को लाए हैं. 



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