पितरों को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका पितृ पक्ष, जानें कब से तक है, कैसे करें और क्या बनाएं

पितरों को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका पितृ पक्ष, जानें कब से तक है, कैसे करें और क्या बनाएं

पितृ पक्ष हमारे पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करने और उन्हें याद करने का महत्वपूर्ण अवसर होता है। यह न केवल पितरों की आत्मा की शांति के लिए होता है, बल्कि नई पीढ़ी को प्राचीन वैदिक और पौराणिक संस्कृति से परिचित कराने का अवसर भी देता है। सबसे बड़ी बात, पितरों का श्राद्ध करने से जन्म कुंडली में होने वाले पितृदोष से भी मुक्ति मिलती है। इस वर्ष पितृ पक्ष 17 सितंबर 2024 को भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा से शुरू होकर 2 अक्टूबर 2024 को अमावस्या तक रहेगा। पूर्णिमा का श्राद्ध 17 सितंबर को किया जाएगा और प्रतिपदा का श्राद्ध 18 सितंबर को। इसके बाद प्रत्येक दिन विशेष श्राद्ध होंगे, जैसे 25 सितंबर को जितिया श्राद्ध और 26 सितंबर को मातृ नवमी, जो सुहागन मृत स्त्रियों के लिए श्राद्ध माना जाता है।


श्राद्ध कैसे करें और क्या बनाएं?

पितृ पक्ष में श्राद्ध के दिन अपने पितरों के लिए दाल-भात, पूरी, खीर और कद्दू की सब्जी बनाना शुभ माना जाता है। इसके बाद गाय, कुत्ते, कौवे और चींटियों को भोज्य पदार्थ देना चाहिए। ब्राह्मण को भोजन कराने के साथ-साथ दक्षिणा, वस्त्र और मिठाई देना चाहिए। यह पूजा दोपहर के समय की जाती है, और पिंडदान के लिए भात, काले तिल और घी का मिश्रण करके तर्पण किया जाता है।

क्या महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती हैं?

हाँ, बिल्कुल! परंपरागत रूप से श्राद्ध पुरुषों द्वारा किया जाता है, लेकिन यदि परिवार में पुरुष सदस्य अनुपलब्ध हों तो महिलाएं भी श्राद्ध कर सकती हैं। विशेष रूप से जिनकी संतान नहीं होती, उनका श्राद्ध परिवार के अन्य सदस्य कर सकते हैं।

आप घर बैठे भी कर सकते हैं श्राद्ध!

आधुनिक युग में, श्राद्ध भी ऑनलाइन माध्यम से किए जा रहे हैं। अगर आप विदेश में हैं या दूर रहते हैं, तो ब्राह्मणों से संपर्क कर ऑनलाइन श्राद्ध की प्रक्रिया पूरी करवाई जा सकती है। ब्राह्मण पूजा और श्राद्ध का भोजन तैयार करके गाय, कुत्ते, कौवे और चींटियों को खिलाते हैं, और आपको ऑनलाइन माध्यम से पूरी पूजा दिखाई जाती है।


श्राद्ध में क्या करें और क्या नहीं?

पितृ पक्ष के दौरान घर में प्याज, लहसुन, मांसाहार और नशे का सेवन वर्जित है। साथ ही, किसी से गलत बात नहीं करनी चाहिए, क्रोध से बचना चाहिए और ईर्ष्या का त्याग करना चाहिए। पितृ पक्ष में ब्राह्मणों को आमंत्रित कर उन्हें भोजन करवाने के बाद पूर्वजों की आत्मा की शांति और सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।

अगर आप पितृ पक्ष में प्याज, लहसुन, मांसाहार और नशे का सेवन, किसी से झूठ बोलना या गलत बात करना, क्रोध करना या ईर्ष्या करना, ब्राह्मणों का अपमान करना जैसे गलत काम करते हैं तो आपको पितृ दोष से मुक्ति नहीं मिलेगी. 


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