बिहार में शिक्षा बेहाल ! विद्यापति और नागार्जुन की भूमि पर कब्रिस्तान में पढ़ने को मजबूर हैं बच्चे, दो कमरे में होती है 3 सौ बच्चों की पढ़ाई
Madhubani-सरकार शिक्षा विभाग में सुधार की कवायद में जुटी है. हर रोज नए नए नियम जारी हो रहे हैं. बच्चों की पढ़ाई के लिए सरकार बड़े बड़े दावे भी कर रही है लेकिन कुछ हकीकत से विभाग के आलाधिकारी भी शायद अनभिज्ञ है.
राजा जनक की भूमि मधुबनी को ज्ञान का क्षेत्र माना जाता है, विद्यापति से लेकर बाबा नागार्जुन की तपोस्थली में एक स्कूल ऐसा भी है जहां 18 साल से बच्चे कब्रिस्तान में बैठकर ज्ञानार्जन करते हैं.
यह स्कूल मधुबनी के अंधराठाढ़ी ब्लॉक के हरना पंचायत में चलता है. उत्क्रमित मध्य विद्यालय उर्दू में बच्चों को पढ़ता देख आप भी चकित हो जएंगे. इस विद्यालय में 300 से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं. यहां दो कमरे हैं. एक कमरे में मध्याह्न भोजन का सामान रखा है तो दूसरे कमरे में स्कूल का दफ्तर है और शेष बचे जगह में बच्चे पढ़ाई करते हैं.
इतनी छोटी जगह में बड़ी संख्या में बच्चों को बैठाना संभव नही होने के कारण इनकी पढ़ाई कभी सड़क पर तो कभी कब्रिस्तान में बैथा कर किया जाता है. कब्रितान भी ऐसा जहां करीब आठ गांव के लोगों का शव दफनाया जाता है. सरकारी नीति के कारण कब्रिस्तान का बाउंड्री बना दिया गया लेकिन पढ़ाई बदस्तूर जारी रही.
स्कूल के प्रधानाध्यपक अपनी पीड़ा बयान करते हुए कहते हैं कि स्कूल में दो कमरे हैं और यहां कक्षा एक से आठ तक की पढ़ाई होती है, ऐसे में बहुत कठिनाई का सामना करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि हमारे स्कूल में शौचालय भी नहीं है. ऐसे में बगलगीर के शौचालय का सहारा लेना पड़ता है.
अब शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ एस सिद्धार्थ से लोगों को उम्मीद है. शिक्षकों के साथ स्थानीय लोगों का कहना है कि शायद डॉ एस सिद्धार्थ का ध्यान इस ओर जाएगा और उनकी दशा में सुधार हो पाए.