मोदी की बढ़ी मुश्किल! दस साल बाद विपक्ष के तेवर से सकते में सत्ता पक्ष,एजेंडा सेट कर रहा इंडी गठबंधन,जवाब देते नहीं बन रहा...क्या होगा आगे का हाल समझिए

मोदी की बढ़ी मुश्किल! दस साल बाद विपक्ष के तेवर से सकते में सत्ता पक्ष,एजेंडा सेट कर रहा इंडी गठबंधन,जवाब देते नहीं बन रहा...क्या होगा आगे का हाल समझिए

दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 का जनादेश...सभी दलों के लिए खास है. भाजपा ने साथियों के सहारे तीसरी बार सरकार बनाया....साल 2019 में 52 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस 99 सीटों के साथ 2024 दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर आयी है...सपा को यूपी में जनता का जबरदस्त समर्थन मिला ...नीतीश खुश हैं कि सत्ता की चाभी उनके पास है... 2024 का जनादेश लोकतंत्र की असली जीत है. यह सभी दलों के लिए संदेश भी है.

बेरोजगारी...महंगाई पर अब होगी तकरार.....

भाजपा के लिए भी संदेश है कि जनता से जुड़े मुद्दों की अनदेखी करना भारी पड़ सकता है. जनता के जो रोजमर्रा से जुड़ी समस्याओं को सत्ताधारी दल तवज्जों देना हीं पड़ेगा. महंगाई, बेरोजगारी को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है.  राम मंदिर, धारा 370 जैसे मुद्दों को हल करना उपलब्धि है लेकिन मध्य वर्ग की समस्याओं से मुंह मोड़ना, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट के समय की गई टिप्पणी नुकसानदेह हो सकती है. मध्यवर्ग के बारे में सोंचना हीं पड़ेगा. 

गठबंधन की सरकार

तो दस वर्षों के बाद पहली बार भाजपा गठबंधन सरकार चला रही है. पीएम मोदी को गठबंधन की सरकार चलाने का अनुभव होगा. मोदी को विपक्ष के साथ साथ अपने सहयोगियों को सादने की चुनौती भी होगी. 

भाजपा के प्रति जनता का अविश्वास नहीं है जनादेश

जनादेश 2024 पीएम मोदी के विरुद्ध अविश्वासनहीं कहा जा सकता.कारण 2019 के मुकाबले 2024 में  भाजपा का मत प्रतिशत भी लगभग समान है. यहीं नहीं 2019 की अपेक्षा भाजपा को 69 लाख अधिक मत प्राप्त हुए हैं. 240 सीटों को जिताकर लोगों ने पीएम  मोदी के नेतृत्व में अपना विश्वास  व्यक्त किया.

एंटी इनकंबेंसी ट्रेंड

जनादेश 2024 में “एंटी इनकंबेंसी ट्रेंड” देखने को मिला. उड़ीसा में दो दशक से अधिक शासन कर रहे नवीन बाबू को हार का सामना करना पड़ा. वहीं आंध्र प्रदेश में भी जगन मोहन रेड्डी बुरी तरह पराजित हुए. राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को भी  सीटों की हानी उठानी पड़ी. दिल्ली के चुनाव परिणामों से पता चला कि आम आदमी पार्टी की मुफ्त बांटने की नीति का लोगों पर कोई प्रभाव नहीं हुआ. 

विपक्ष की भूमिका होगी महत्वपूर्ण

साल 2014 में 44 और वर्ष 2019 में 52 सीटों पर सिमटने वाली कांग्रेस 99 सीटों के साथ 2024 दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर आयी है. संसद में अब प्रमुख मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच बहस देखने को मिलेगी. अगले पांच साल विपक्ष केंद्र की राजनीति में मजबूती से बना रहेगा तो  क्षेत्रीय दलों की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी. 

जनता के मुद्दें नहीं होंगे गौण

राजनीतिक पंडितों के अनुसार 2024 में भाजपा को  गांव, गरीब, किसानों , मध्य वर्ग की नारागी झेलनी पड़ी है. उत्तर भारत में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है. बेरोज़गारी और घटती आमदानी भाजपा को भारी पड़ी तो सेना को लेकर अग्निवीर और किसान आंदोलन ने भाजपा की कमर पर प्रहार किया. किसान आंदोलन और किसानों की समस्याओं पर राजनीति की हानि भाजपा को झेलनी पड़ी है. पंजाब में पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया तो हरिय़ाणा और राजस्थान में इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. अब पांच साल तक सरकार को कार्पोरेट के साथ किसानों की समस्याओं पर ध्यान देना हीं होगा, विपक्ष भी मुखर होगा, उम्मीद है.साल 2024 के लोकसभा के लिए मिले जनादेश में समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, तमिलनाडु में डीएमके के अलावा कई और छोटे क्षेत्रीय दलों को संसद में प्रतिनिधित्व दिया है. 

सत्ता पक्ष के सामने मजबूत दीवार

 अब जब भाजपा ने जदयू और टीडीपी के साथ मिल कर  गठबंधन सरकार बनाया है तो सरकार के कामकाज और नीति पर उनकी भी जवाबदेही रहने वाली है.आने वाले पांच वर्षों में संसद में सार्थक चर्चा होगी और इससे जनता को लाभ मिलने वाला है. बहरहाल लोकसभा चुनाव 2024 के जनादेश से राजनीतिक पंडितों के अनुसार इतना तो तय है कि जनता के मुद्दों को गौम नहीं रखा जा सकता है. वस्तुत: 2024 का  जनादेश लोकतंत्र की जीत है.अब मजबूत विपक्ष खड़ा है, सत्तापक्ष के लिए चुनौती तो पेश करेगा हीं.

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