पति के दिव्यांग होने के बाद हार नहीं मानी मुजफ्फरपुर की बबिता, कचरे को बनाया रोजगार का जरिया, महिला दिवस पर की गयी सम्मानित

MUZAFFARPUR : लहरो से डरकर नौका पार नही होती और कोशिश करने वालो की कभी हार नही होती। कुछ ऐसे ही कोशिश कर दिखाई है सकरा प्रखंड की बबीता गुप्ता ने। प्लास्टिक कचरे से सजावटी सामान को  बनाकर गांव की महिलाओं को अपनी आजीविका चलाने का  सहारा बनी है। उन्होंने महिलाओ को एक साथ बैठाकर कचरे से सजावटी समान बनाकर एक मिशाल पेश किया है। इसके मद्देनजर अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में बबीता को पुरस्कार दिया गया।


बबिता महिला दिवस के अवसर पर 'स्वच्छ सुजल शक्ति सम्मान 2023 पुरस्कार' से सम्मानित की गई है। उन्हें सम्मान मिलने से पूरे मुजफ्फरपुर की महिलाओं में खुशी की लहर दौड़ गई है। बबीता ने  सफलता का माध्यम कचरा  को बनाया है। अमूमन लोग प्लास्टिक को कचरे समझकर फेंक देते हैं। जबकि बबीता ने उस कचरे को फूल के गुलदस्ते के रूप में तब्दील कर दिया है।

बबीता के इस प्रयास से पर्यावरण को भी लाभ होता है। वह कृत्रिम फूलों के गुलदस्ते, कतरनों, पेंडेंट, पाउच, पर्स और बैग जैसी सजावटी वस्तुओं में बेकार प्लास्टिक का रचनात्मक रूप से पुन उपयोग कर रही है। वह न केवल बेकार प्लास्टिक के पुन: उपयोग को बढ़ावा देती हैं, बल्कि पर्यावरण पर इसके नकारात्मक प्रभाव को भी कम करती हैं। 

इसके पीछे बबिता का हौसला है। कठिन परिस्थिति में उन्होंने हार नहीं मानी। दरअसल बबिता के विवाह के बाद परिवार में सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन अचानक उनके पति दिव्यांग हो गये। बबीता पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई। जिसके बाद उन्होंने रोजगार का नया जरिया प्लास्टिक को बनाया। आज प्रखंड विकास पदाधिकारी के देख रेख व उनके प्रयास से आज वह सफल हो रही है। बबीता ने कहा की प्रखंड विकास पदाधिकारी सहित जिला के सभी वरीय पदाधिकारी का उसे सहयोग मिला है। 

मुजफ्फरपुर से गोविन्द की रिपोर्ट