जगह, कार्यक्रम- एक, मगर अलग-अलग मुलाकात, आखिर क्यों बढ़ती जा रही है राजद के कृष्ण-अर्जुन के बीच की दूरी ?

SIWAN: साल 2020 के विधानसभा चुनाव में 75 सीट जीतकर सबसे बड़ी पार्टी का तमगा हासिल करने वाली राजद ऐसे तो ‘ऑल इज वेल’ होने का दावा करती है। मगर सच्चाई यह है कि पार्टी के भीतरखाने में बहुत कुछ चल रहा है। हालांकि परोक्ष रूप से यह सभी को नजर आ रहा है, मगर प्रत्क्ष रूप से कोई नेता, मंत्री इसपर टिप्पणी करने से बचते हैं। बात करेंगे राजद के कृष्ण-अर्जुन यानी कि तेजस्वी यादव और तेजप्रताप यादव की, जिनके बीच की खाई बढ़ती जा रही है।
ओसामा के निकाह में साफ दिखी दरार
मौका था आरजेडी के दिवंगत पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के बेटे ओसामा के निकाह का, जिसमें तेजस्वी और तेजप्रताप यादव, दोनों ने शिरकत की। हालांकि दोनों ही इस कार्यक्रम में अलग-अलग पहुंचे और एक-दूसरे से मुलाकात तक नहीं की। पहले 12 अक्टूबर को तेजस्वी यादव सीवान पहुंचे, जहां से ओसामा-तेजस्वी की खुशनुमा तस्वीरें हमें देखने को मिली। इसके बाद 13 अक्टूबर की शाम तेजप्रताप यादव सीवान के लिए रवाना हुए। पूछे जाने पर उन्होनें कहा कि वह LP मूवमेंट सहित कई काम में व्यस्त थे, मगर वह ओसामा से लगातार संपर्क में है। दोनों भाई एक ही कार्यक्रम में साथ नहीं जाते और एक-दूसरे से नजरें भी चुराते हैं, क्या यह दोनों के बीच की खाई को नहीं दर्शाता?
मां राबड़ी से भी अकेले में मिलने पहुंचे
कुछ दिनों पहले पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी दिल्ली से वापस पटना पहुंची, जिसके बाद वह तेज प्रताप से मिलने उनके आवास पर पहुंची थी। मगर उनकी मुलाकात उनसे नहीं हो पाई। इसके बाद वह राबड़ी आवास चली गई थीं। बाद में 12 अक्टूबर की रात तेजप्रताप अपनी मां से मिलने पहुंचे और काफी जल्दी में मिलकर वापस निकल गए। इस दौरान तेजस्वी यादव वहां मौजूद नहीं थे।
राखी के मौके पर भी साथ नहीं था परिवार
लालू प्रसाद और राबड़ी देवी के 9 बच्चे हैं, जिनमें 7 बहनें और 2 भाई है। जाहिर है रक्षाबंधन के मौके पर सभी भाई-बहन एकजुट होते हैं, मगर इस दौरान भी तेजस्वी और तेजप्रताप की मुलाकात नहीं हुई थी। राखी के मौके पर पूरा परिवार दिल्ली में मौजूद था, मगर तेजप्रताप उन सभी से कटे-कटे से थे। वह सबसे अंत में अपने पिता लालू यादव से मिलने पहुंचे, जब तेजस्वी वहां से रवाना हो चुके थे। इसको लेकर भी सवाल उठे थे और भाई-भाई के बीच की दूरी को हवा यहीं से मिली थी।
अनुशासनहीनता और बड़बोलेपन है वजह
आप जानना चाहेंगे कि यह मामला कब शुरू हुआ था। बात रक्षाबंधन के पहले की ही है। जब तेज प्रताप यादव ने खुले मंच से जगदानंद सिंह के प्रति कड़ा रुख अख्तियार करते हुए उनके खिलाफ आपत्तिजनक बातें कही थी, जिससे जगदानंद सिंह अपमानित महसूस हुए थे और कई दिनों तक राजद कार्यालय नहीं पहुंचे थे। इसके बाद बीच-बचाव करते हुए तेजस्वी को सामने आना पड़ा था। इसी के बाद से तेज प्रताप को धीरे धीरे साइडलाइन किया जाने लगा। खुद तेजस्वी ने जगदानंद सिंह के पक्ष में थे, जिससे तेजप्रताप को काफी फर्क पड़ा था। कई बार तेजप्रताप पार्टी-विरोधी गतिविधि मेँ शामिल रहे हैं, जिससे पार्टी की इमेज पर असर पड़ता है। यही वजह है कि फिलहाल दोनों भाई की राहें कुछ जुदा सी हैं, और वह एक-दूसरे से बचते नजर आ रहे हैं।