सुधाकर सिंह को लेकर राजद के लिए इधर कुंआ, उधर खाई! पार्टी से निकाला तो भी नुकसान, नहीं की कार्रवाई तो बाकी पार्टियां होंगी नाराज, जानें क्या है परेशानी

PATNA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ लगातार बयानबाजी करने को लेकर जदयू के साथ महागठबंधन की सभी पार्टियों द्वारा लगातार कार्रवाई की मांग की जा रही है। दूसरी पार्टियों की लगातार मांग पर पूर्व मंत्री और राजद विधायक सुधाकर सिंह को लेकर राजद नेतृत्व भी परेशानी में है।हालांकि पूछने पर उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव इशारों में कार्रवाई की चेतावनी दे चुके हैं। ऐसे में अगर जदयू की तरफ से दबाव बढ़ा तो महागठबंधन नेतृत्व पर लगातार किये जा रहे हमले के संदर्भ में सुधाकर सिंह को राजद नेतृत्व इसी पखवारे कारण बताओ नोटिस जारी कर सकता है। नोटिस का असंतोषजनक जवाब मिलने की अवस्था में अगली कार्रवाई के लिए राजद अध्यक्ष लालू यादव के वापस देश लौटने का इंतजार किया जाएगा। 

बता दें सुधाकर सूबे में मंडी कानून बहाली के मसले को आधार बना लगातार महागठबंधन नेतृत्व पर सवालिया निशान उठा रहे हैं। राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव अभी सिंगापुर में स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। ऐसे में राजद की तरफ से उनके बयानों को लेकर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है। वह सुधाकर सिंह लगातार मौजूदा सरकार के काम पर सवाल उठाते रहे हैं। अब तक वह उन्हें शिखंडा, भिखमंगा और नाइट वाचमैन तक कह चूके हैं।

हालांकि कानून के जानकारों का मानना है कि जब तक सदन के अंदर सुधाकर सिंह पार्टी व्हिप का उल्लंघन नहीं करते है उनकी सदस्यता पर किसी तरह का खतरा नहीं हैं। सदन के अंदर पार्टी को बताए बिना अनुपस्थित रहने या पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने, इसी दो अवस्था में सुधाकर की सदस्यता पर खतरा हो सकता है। सदन के बाहर यानी सार्वजनिक रुप से उनकी बयानबाजी को आधार बना पार्टी ज्यादा से ज्यादा निलंबन या निष्कासन की कार्रवाई तो कर सकती है पर इससे उनकी सदस्यता पर किसी तरह की खतरा नहीं हो सकता।

राजद के लिए है यह उलझन

सुधाकर सिंह पर इस कारण से भी कार्रवाई नहीं हो पा रही है, क्योंकि इससे राजद को अपनी एक सीट गंवानी पड़ सकती है। दिसंबर माह में कुढ़नी में हुए उपचुनाव में राजद को पहले से ही एक सीट का नुकसान हो चुका है। ऐसे में अगर सुधाकर सिंह के खिलाफ पार्टी कार्रवाई करती है, तो भी नुकसान सिर्फ राजद को ही होगा और उन्हें एक सीट गंवानी पड़ जाएगी। साथ ही बिना जदयू के सरकार बनाने की उनकी योजना पर भी प्रभाव पड़ेगा। ऐसे में राजद नेतृत्व भी सुधाकर सिंह पर कार्रवाई को लेकर असमंजस की स्थिति में है। उनके निष्कासन से नैतिक स्तर पर ये मैसेज जा सकता है कि राजद और भाजपा की विधायकों की संख्या बराबर हो गई पर विधानसभा यानी सदन के अंदर राजद की सदस्य संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।