फैक्ट्रियों का धुआं दे रहा सांस की बीमारियां, अब ऐसी फैक्ट्रियों पर लगेगा प्रतिबंध, कंपनियों को 3 महीने की चेतावनी
पटना- चारों ओर फैला धुंआ, हवा इतनी जहरीली की सांस लेना भी मुश्किल. कहीं ट्रक, बस, ऑटो से निकलता धुंआ, तो कहीं सड़कों पर फैली भवन निर्माण सामग्री के कारण उड़ती धूल तो कहीं धुंआ उगलती फैक्ट्रियों की चिमनियां. इन सब के बीच सांस लेना मजबूरी है, इसलिए लोग घर से निकलते ही मुंह पर कपड़ा ढक लेते हैं. यह कपड़ा भी चारों ओर फैले वायु प्रदूषण को हमारे शरीर में समाने से रोकने में नाकाम साबित हो रहा है. प्रदूषित वायु में मौजूद विषैले तत्व सांस के जरिए हमारे शरीर में प्रवेश कर रहे हैं. इससे कई तरह की बीमारियों के होने का खतरा बढ़ रहा है. इसको ध्यान में रखते हुए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने ने राजधानी के पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र में कोयले से संचालित होने वाली फैक्ट्रियों के मालिकों को ईंधन के रूप में नेचुरल गैस का उपयोग करने को कहा है. ऐसा नहीं करने पर फैक्ट्री बंद करने की चेतावनी दी है. 11 फैक्ट्रियों की पहचान की गई हैं, जहां ईंधन के रूप में कोयले का उपयोग हो रहा है. उन्हें तीन महीने के अंदर तकनीक में बदलाव कर गैस का उपयोग शुरू कर देना है, ऐसा नहीं करने पर यूनिट को बंद करने का निर्देश जारी कर दिया जाएगा.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के अध्यक्ष डॉ. डीके शुक्ला का कहना है कि राज्य में प्रदूषण की मात्रा फिर बढ़ने लगी है. जाड़े के दिनों में पटना के वातावरण में प्रदूषण की स्थिति काफी गंभीर हो जाती है. इसलिए बोर्ड इस वर्ष पहले से ही सावधानी बरत रहा है.
वायु प्रदूषण के मद्देनजर ही पर्षद ने पाटलिपुत्र औद्योगिक क्षेत्र 11 फैक्ट्रियों की तकनीक में बदलाव करने का निर्देश दिया हैजाड़े में सड़कों पर पड़ा धूलकण भी वायु प्रदूषण की स्थिति को गंभीर बना देता है. पर्षद ने सड़कों पर पड़े धूलकण भी साफ करने के लिए निगम एवं जिला प्रशासन को निर्देश दिया है. डीजल से चलाए जाने वाले बस और आटो को पहले ही प्रतिबंधित किया जा चुका है.
बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद के विज्ञानियों का कहना है कि राजधानी में हो रहे निर्माण कार्य से भी वायु प्रदूषण में वृद्धि देखी जा रही है. इसलिए पर्षद ने निर्माण कार्य में लगी एजेंसियों को निर्देश दिया है कि हरित चादर से ढंककर ही कोई निर्माण कार्य किया जाए. धूलकण न उड़े, इसलिए वहां पर समय-समय पर पानी का छिड़काव होता रहे.
ट्रक, बस, ऑटो, कार, जेनरेटर, जलाया गया कूड़ा, लकड़ी, कोयला आदि फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुंआ वायु प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं. वहीं नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और ओजोन जैसी गैसें भी वायु को प्रदूषित करती हैं. इनके कारण बनने वाले छोटे-छोटे धूल कण जिन्हें पर्टिकुलेट मैटर कहा जाता है, वायुमंडल में शामिल हो जाते हैं. यह छोटे लेकिन ठोस कण हमारे शरीर को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं इसी को ध्यान में रखते हुए बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने ठोस कदम उठाया है