बिहार में बढ़ सकती है विधान परिषद सदस्यों की संख्या, 75 के बदले जानिए कितने हो जाएंगे एमएलसी

पटना. बिहार में एमएलसी चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों में सरगर्मी बढ़ी हुई है. स्थानीय निकाय प्राधिकार क्षेत्र से 24 एमएलसी का निर्वाचन होना है. लेकिन एमएलसी की यह संख्या बढ़ भी सकती है. ऐसा तब होगा जब बिहार सरकार पहल करेगी और तय प्रावधानों के अनुरूप सीटों को बढ़ाएगी.
इस समय बिहार विधान परिषद में अभी कुल 75 सदस्य हैं। यह संख्या जब एकीकृत बिहार था तब 96 हुआ करती थी. लेकिन जब बिहार का बंटवारा हुआ और बिहार का पुनर्गठन अधिनियम, 2000 के तहत झारखंड का गठन हुआ तो सदस्य संख्या घटकर 96 से 75 हो गई. दरअसल संविधान की धारा 171 के अनुसार विधानसभा के कुल सदस्यों की तुलना में अधिकतम एक तिहाई सदस्य विधान परिषद में हो सकते हैं. ऐसे में बिहार विधान सभा के 243 सीटों के अनुपात में एक तिहाई यानी 81 सदस्य बिहार विधान परिषद में हो सकते हैं। तय प्रावधानों के अनुसार देखा जाए तो बिहार विधान परिषद में अभी सदस्य संख्या अधिकतम 81 की तुलना में छह कम यानी 75 है.
बिहार में विधान परिषद के सदस्यों की संख्या में पहले भी कई बार बदलाव हुआ है. पहले पहल 26 जनवरी, 1950 को लागू भारतीय संविधान के अनुच्छेद-171 में वर्णित उपबन्धों के अनुसार बिहार विधान परिषद् के कुल सदस्यों की संख्या 72 निर्धारित की गई थी. हालाँकि बाद में ज्यादा क्षेत्रों को बेहतर प्रतिनिधित्व देने के लिए विधान परिषद अधिनियम, 1957 लाया गया. इसके तहत 1958 में परिषद के सदस्यों की संख्या 72 से बढ़ाकर 96 कर दी गई. हालाँकि जब वर्ष 2000 में झारखंड का गठन हुआ तब एक बार फिर और बिहार विधान परिषद् के सदस्यों की संख्या 96 से घटाकर 75 निर्धारित की गई. उस समय बिहार के पुनर्गठन अधिनियम, 2000 द्वारा बिहार के 18 जिलों और 4 प्रमंडलों को मिलाकर 15 नवम्बर, 2000 को बिहार से अलग कर झारखंड राज्य की स्थापना हुई थी.
ऐसे में बिहार विधान परिषद में सदस्य संख्या बढ़ाने का विकल्प मौजूद है. फ़िलहाल जो 75 सदस्य होते हैं उनमें स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों में प्रत्येक के 6- 6 यानी 12, स्थानीय निकायों से निर्वाचित 24, राज्यपाल द्वारा मनोनीत विभिन्न क्षेत्रों में विशिष्टता रखने वाले 12 और विधानसभा सदस्यों से निर्वाचित होने वाले 27 सदस्य होते हैं.
बिहार पुनर्गठन विधेयक के तहत बिहार विधान परिषद की मौजूदा संख्या का निर्धारण किया गया है। ऐसे में उक्त विधेयक में संशोधन कर इसे राज्य कैबिनेट में प्रस्ताव पारित कराकर दोनों सदनों से पारित कराने की प्रक्रिया पूरी करनी होगी. बिहार बंटवारे के बाद एंग्लो इंडियन समुदाय से मनोनीत होने वाले एक सदस्य का कोटा झारखंड चला गया. लम्बे समय से इस समुदाय को प्रतिनिधित्व देने की मांग हो रही है. अधिवक्ताओं, किसानों समेत दूसरे वर्ग से प्रतिनिधित्व देने की मांग उठती रही है. अगर सरकार ने चाहा तो सदस्य संख्या बढ़ाने की प्रक्रिया को अंतिम रूप देकर एमएलसी की संख्या बढाई जा सकती है.