हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस व पंचतंत्र को लेकर यूनेस्को का बड़ा फैसला, देश में ही विवादित बयान देने वालों के मुंह पर करारा तमाचा...

DESK: हिंदुओं के धार्मिक ग्रंथ रामचरितमानस को सबसे पवित्र माना जाता है। हालांकि भारत में अक्सर रामचरितमानस को लेकर कई लोग विवादित बयान देते हैं। रामचरितमानस में कई खामियों को निकालने की कोशिश करते हैं। लेकिन उन तमाम विवादित बयान देने वालों को आइना देखाने वाली खबर सामने आई है। दरअसल, रामचरितमानस विश्व की धरोहर में शामिल हो गया है। रामचरितमानस और पंचतंत्र को लेकर यूनेस्को ने बड़ा फैसला लिया है। 

भारत के रामचरितमानस, पंचतंत्र और सहृदयलोक-लोकन को एशिया प्रशांत क्षेत्र के 'यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर' के 2024 चक्र के 20 वस्तुओं में शामिल किया गया है। मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया पैसिफिक कमेटी अन्य श्रेणियों के अलावा, जीनोलॉजी, साहित्य और विज्ञान में एशिया-प्रशांत की उपलब्धियों को मान्यता देती है और उनको सम्मानित करती है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA) ने मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड कमेटी फॉर एशिया एंड द पैसिफिक (MOWCAP) की 10वीं बैठक के दौरान एक ऐतिहासिक क्षण हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह भारत और इसकी संस्कृति के लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि रामचरितमानस, पंचतंत्र और सह्रदयालोक-लोकन को यूनेस्को की मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड एशिया-पैसिफिक रीजनल रजिस्टर में शामिल किया गया। 'रामचरितमानस', 'पंचतंत्र' और 'सहृदयलोक-लोकन' ऐसी कालजयी रचनाएँ हैं जो भारतीय साहित्य और संस्कृति को गहराई से प्रभावित किया है। देश के नैतिक ताने-बाने और कलात्मक अभिव्यक्तियों को आकार दिया है।

संस्कृति मंत्रालय के एक बयान के अनुसार इन साहित्यिक उत्कृष्ट कृतियों का सम्मान करके समाज न केवल उनके रचनाकारों की रचनात्मक प्रतिभा को श्रद्धांजलि देता है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करता है कि उनकी गहन बुद्धि और कालातीत शिक्षाएँ भावी पीढ़ियों को प्रेरित करती रहे। उल्लेखनीय है कि 'सहृदयलोक-लोकन', 'पंचतंत्र' और 'रामचरितमानस' की रचना क्रमशः आचार्य आनंदवर्धन, पं. विष्णु शर्मा और गोस्वामी तुलसीदास ने की थी।