जमुई में लौह अयस्क खनन को लेकर ऑक्शन से पहले ग्रामीणों ने किया विरोध, कहा किसी कीमत पर नहीं होने देंगे जमीन का अधिग्रहण

जमुई में लौह अयस्क खनन को लेकर ऑक्शन से पहले ग्रामीणों ने किया विरोध, कहा किसी कीमत पर नहीं होने देंगे जमीन का अधिग्रहण

JAMUI : जिले के सिकंदरा प्रखंड के मंजोष गांव में लौह अयस्क खनन के सीमांकन कार्य के विरोध पर मंगलवार की संध्या उप विकास आयुक्त सुमित कुमार की अध्यक्षता में करीब आधा दर्जन गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक किया। इस दौरान एडीएम सुभाष चंद्र मंडल, खनिज विकास पदाधिकारी वीरेंद्र कुमार, एसडीओ अभय कुमार तिवारी सहित जिले एवं प्रखंड के कई पदाधिकारी उपस्थित हुए। इस दौरान ग्रामीणों को संबोधित करते हुए डीडीसी सुमित कुमार ने कहा कि लौह अयस्क खनन को लेकर फिलहाल सर्वे किया जाएगा। सर्वे की प्रक्रिया होने के बाद घनी आबादी को छोड़कर ही खनन की प्रक्रिया होगी। 

इस दौरान ग्रामीणों की अध्यक्षता कर रहे चंद्रदेव सिंह के द्वारा सर्वे का कार्य रोकने को लेकर ज्ञापन दिया गया। इस दौरान समस्त ग्रामीणों ने स्पष्ट रूप से कहा कि किसी भी परिस्थिति में हम सभी अपनी जमीन को नहीं देंगे। और सर्वे का कार्य भी होने नहीं देंगे। वही जिलाधिकारी को दी गई ग्रामीणों के द्वारा आवेदन में बताया गया कि विगत 26 अप्रैल को खान एवं भूतत्व विभाग के सचिव धर्मेंद्र कुमार सिंह के द्वारा मंजोष गांव स्थित लौह अयस्क क्षेत्र का निरीक्षण किया गया था। 

निरीक्षण के उपरांत जमुई समाहरणालय स्थित संवाद कक्ष में मीडिया को जानकारी देते हुए उनके द्वारा सिकंदरा प्रखंड के मंजोष गांव में लौह अयस्क खनन कार्य के लिए 85 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किये जाने एवं जून माह में टेंडर की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही गयी थी। जिसके बाद ग्रामीण किसानों को जानकारी दिए बिना ही अंचल कार्यालय के द्वारा अधिग्रहण के लिए मंजोष गांव में जमीन के सीमांकन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी। हम सभी मंजोष ग्रामवासी गांव में किए जा रहे सीमांकन कार्य पर घोर आपत्ति जताते हुए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पर अपनी असहमति व्यक्त करने की बात कही गई। वही किसानों की सहमति के बगैर जमीन का अधिग्रहण किया जाना भी विधि सम्मत नहीं है। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 1894 के तहत भूमि अधिग्रहण के लिए 80 फीसदी प्रभावित किसानों की सहमति आवश्यक है। 

ग्रामीणों ने कहा कि हमारी उपजाऊ जमीन लगभग 7 हजार लोगों के आजीविका का प्रमुख साधन है। वहीं हमारे गांव का काला आहर मंजोष गांव समेत आसपास के दस गांवों के सिंचाई का सबसे बड़ा स्रोत है।  ऐसे में हमलोग अपना घर, जमीन और आहर को त्याग कर विस्थापन का दंश नहीं झेल सकते हैं। हमें न तो ऐसी उपजाऊ जमीन कहीं मिल सकती है और न ही सिंचाई का इतना बड़ा स्रोत ही मिल सकता है। इतिहास साक्षी है कि कोई भी व्यक्ति अपना घर और जमीन गंवा कर खुशहाल नहीं रह सका है। इसलिए हम सभी ग्रामीणों ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया है कि हम किसी भी कीमत पर अपना घर और अपनी उपजाऊ जमीन का अधिग्रहण नहीं होने देंगे। हम सभी ग्रामीण सरकार द्वारा प्रस्तावित अधिग्रहण प्रक्रिया पर अपनी आपत्ति जताते हुए इसका घोर विरोध करते हैं। हमारी शस्य श्यामला उर्वरा धरती सोना उगलती है ऐसे में सोना उगलने वाली मिट्टी में लोहा (लौह अयस्क) तलाशना आर्थिक दृष्टिकोण से भी उचित नहीं है।

जमुई से सुमित की रिपोर्ट

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