रेलवे की परीक्षा में ऐसा क्या हुआ है जो पूरे बिहार में हो रहा है बवाल, RRB NTPC अभ्यर्थियों के गुस्से का कारण समझिए

पटना. रेलवे की परीक्षा में शामिल होने वाले बिहार के छात्रों का गुस्सा सातवें आसमान पर है. पिछले दो दिनों से पटना सहित राज्य के दर्जनों जगहों पर छात्रों ने रेल परिचालन बाधित कर अपना विरोध जताया है. छात्रों द्वारा किये जा रहे इस बवाल का कारण रेलवे परीक्षा पैटर्न में हुआ बदलाव है. इस बदलाव से अभ्यर्थियों को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा है.
दरअसल रेलवे की ओर से वर्ष 2019 में अलग अलग पदों के लिए भर्ती आवेदन आमंत्रित किया गया था. इसमें आरआरबी – एनटीपीसी से 12वीं और स्नातक स्तर पर करीब 35 हजार पदों के लिए बहाली निकाली गई. वहीं ग्रुप डी के विभिन्न पदों के लिए करीब एक लाख पर भर्ती होनी है. लेकिन दोनों परीक्षाओं में ऐसा बदलाव किया गया है कि अब एक ओर कई पद खाली रह जाएंगे तो दूसरी ओर कई अभ्यर्थी के हाथ खाली रह जाएंगे. इसे ऐसे समझिए-
रेलवे की ओर से जुलाई 2019 में अलग अलग पदों के लिए भर्ती निकाली गई थी. इसमें 10628 पदों के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इंटर स्तरीय यानी 12वी पास थी. जबकि 24649 पदों के लिए स्नातक डिग्री की अहर्ता होनी चाहिए थी. हालाँकि फॉर्म भरने के बाद रेलवे की ओर से कहा गया कि दोनों श्रेणियों की परीक्षा एक साथ होगी और शैक्षणिक योग्यता के आधार पर अगले चरण की परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों का चयन होगा. हालाँकि जब 15 जनवरी 2022 को परिणाम आया तो परिणाम में 12वीं पास छात्रों की सफलतम संख्या बेहद कम थी. वहीं स्नातक स्तर के जो अभ्यर्थी सफल हुए उनमें एक ही अभ्यर्थी को पांच पांच पदों पर सफल करार दिया गया. छात्रों का कहना है कि यह बड़ी अनियमितता है. एक ही अभ्यर्थी अगर पांच जगह चयनित है तो अंततः वह एक ही पद पर जाएगा. ऐसे में एक ओर हजारों सीटें रिक्त रह जाएंगी तो दूसरी ओर कई छात्रों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा.
छात्रों का कहना है कि एक छात्र को एक जगह सफल माना जाए न कि उसे पांच जगह सफल दिखाकर परेशानी बढाई जाए. इसी का विरोध करते हुए सोमवार को पटना में छात्रों का गुस्सा राजेंद्र नगर टर्मिनल पर देखने को मिला. इसके पूर्व देश भर के छात्रों ने ट्विटर पर अभियान चलाया था. 18 जनवरी को देश में कई लाख ट्वीट हुए और परीक्षा परिणाम को बदलने की केंद्र सरकार से मांग की गई. वहीं रेलवे ग्रुप डी की लिखित परीक्षा जो अब एक चरण में होती थी उसे अब दो चरणों में करने का निर्णय लिया गया है. ग्रुप डी की परीक्षा 23 फरवरी को होनी है और परीक्षा के मात्र 28 दिन पहले रेलवे ने यह बड़ा बदलाव कर अभ्यर्थियों की चिंता बढ़ा दी. अब इसे लेकर भी छात्रों में रेलवे के खिलाफ गुस्सा है.
दरअसल SSC, बैंक, रक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, राज्य सरकार या केन्द्र सरकार द्वारा देश में होने वाली अब तक कोई भी चतुर्थ वर्गीय परीक्षाओं में सिर्फ एक ही चरण में परीक्षा लेने का प्रावधान रहा है और आगे की प्रक्रिया में दौड़ अथवा PET टेस्ट होता है. वहीं करीब 1 लाख पदों पर होने वाली रेलवे ग्रुप डी पदों के लिए छात्रों को दो चरणों में परीक्षा देनी होगी. पहली परीक्षा पास कर दूसरे चरण की परीक्षा में उत्तीर्ण होना होगा. तत्पश्चात वे तीसरे चरण में 1 किलोमीटर की दौड़ 4 मिनट 15 सेकेंड में क्वालीफाई करेंगे. उसके बाद 40 किलो रेत से भरी बोरी को लेकर चलना होगा तब जाकर चौथे चरण में मेरिट लिस्ट बनेगी।
एक अभ्यर्थी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि सवाल यह है कि जब रेलवे ग्रुप डी की परीक्षा में पहले चरण का ही एग्जाम लेने में 3 साल बीत गए तो नियमों से बाहर जाकर बदलाव कर दूसरे चरण की परीक्षा की घोषणा कर क्या इस भर्ती को 2 साल और लटकाना उद्देश्य तो नहीं. वहीं छात्रों का कहना है कि अगर इतने चरणों की परीक्षा कर चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी को लिया जाएगा तो इससे बेहतर छात्र IAS और PCS की तैयारी ना कर लें। छात्रों का कहना है कि रेलवे के इस छात्र विरोधी नीतियों से छात्र आक्रोश में हैं. इसके खिलाफ पटना और आरा में सोमवार को विरोध प्रदर्शन हुआ था. वहीं मंगलवार को पटना के फतुहा सहित बक्सर, नवादा, नालंदा, छपरा, मुजफ्फरपुर आदि कई जिलों में छात्रों ने रेल लाइन जाम कर बवाल काटा.