ओडिशा में आखिर क्यों पटनायक पर भारी पड़ गई भाजपा, एक-चौथाई सदी की पारी के बाद बीजेडी विदाई, क्या है राजनीतिक समीकरण, जानिए

दिल्ली- नवीन पटनायक लगातार 24 साल तक एकछत्र राज किया. इस बार के लोकसभा चुनाव के साथ कराये गए ओडिशा विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी बीजू जनता दल को करारी हार का सामना करना पड़ा है.  बीजेडी को भाजपा ने सत्ता से बेदखल कर दिया.ओडिशा में अब भाजपा पहली बार सरकार बनाने जा रही है. उसे विधानसभा की 78 सीटें मिली हैं. वहीं आम चुनाव में लोकसभा की कुल इक्कीस सीटों में से बीस सीटें भाजपा को मिली हैं.

77 सालों के इतिहास में तीन पटनायक कुल 45 साल ओडिशा की सत्ता पर काबिज रहे. इसमें जानकी बल्लभ पटनायक, बीजू पटनायक और बाद में उनके बेटे नवीन पटनायक शामिल हैं जो कि  वर्तमान में ओडिशा के सीएम हैं. साल 2000 से वह लगातार ओडिशा की सत्ता पर काबिज हैं. नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक 1961 से 1963 और फिर 1990 से 1995 तक ओडिशा के सीएम रहे. जेबी सरकार 14 साल तक रही. पहला टर्म 1980 से 1989 और दूसरा टर्म 1995 से 1999 तक रहा. 

 बता दें कि नवीन पटनायक ने शादी नहीं की है। वह यह भी कह चुके हैं कि उनके परिवार का कोई सदस्य राजनीति में नहीं आएगा. वहीं चर्चा थी कि उनके भतीजे अरुण पटनायक या फिर भतीजी गायत्री पार्टी की कमान संभाल सकती है. 

नवीन पटनायक ने वीके पांडियन को चुना है. वहीं अपने राजनीतिक उत्तराधिकारी के रूप में नौकरशाह वीके पांडियन को पार्टी व शासन में अधिक अधिकार देने का खमियाजा भी नवीन पटनायक ने भुगता.पांडियन तमिलनाडु मूल के हैं और ओडिशा में उनकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका को एक बड़ा मुद्दा बना दिया गया. जिसका भाजपा ने खूब प्रचार किया। दरअसल, सत्ता में लगातार वर्चस्व बनाये रखने वाले पटनायक ने अपने आसपास किसी राजनीतिक विकल्प बनने की संभावना को कभी पनपने नहीं दिया. पांडियन प्रकरण पटनायक के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हुआ क्योंकि ओडिशा में एक धारणा बन गई कि राज्य की बागडोर एक गैर ओड़िया व्यक्ति को सौंपी जा रही है. प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा देकर पांडियन जैसे बीजेडी में शामिल हुए और उन्होंने राजनीतिक अभियानों में भाग लिया, भाजपा ने इसे ओडि़या अस्मिता का अपमान बताकर इसे बड़ा मुद्दा बना दिया. बाद में पटनायक की सफाई भी काम नहीं आई. 

 लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीतने और चौबीस साल तक निष्कंटक राज करने वाले नवीन पटनायक अपने एक अन्य विधानसभा क्षेत्र से चुनाव हार गए. बीजेडी को 51 विधानसभा सीटों पर सफलता जरूर मिली मगर लोकसभा की एक भी सीट बीजेडी नहीं जीत सकी.

ओडिसा में बदलती राजनीतिक बयार के मद्देनजर नवीन पटनायक ने युवाओं पर केंद्रित कार्यक्रमों को तरजीह दीपटनायक ने बीजेपी की तरफ बढ़ रहे युवाओं को साथ जोड़ने के लिये ओडिशा को देश के खेलों की राजधानी बनाने का प्रयास किया. उन्होंने उन खेलों को तरजीह दी जो क्रिकेट की सुनामी में हाशिये पर जा रहे थे. पटनायक सरकार ने हॉकी की राष्ट्रीय पुरुष व महिला हॉकी टीम को प्रायोजित किया.