वाह रे बिहारः वाह रे शराबबंदी! बैरक में मिली शराब की खाली बोतले, शराबबंदी की शर्मनाक हकीकत सामने आने के बाद अधिकारियों के छुटे पसीने
बिहार में जब अप्रैल 2016 में शराबबंदी लागू हुई तो शुरुआत के कुछ दिनों तक लोगों में डर बना रहा.इसके बाद तो शराब के तस्कर सक्रिय हो गए. हर जगह शराब मिल रही है. शराब के अवैध धंधे से इतनी कमाई हो रही है कि दारू सिंडिकेट तक कथित तौर पर बन गए हैं.बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून को पालन कराने के लिए पूरी ताकत लगा दी है. इसी क्रम में पटना के दीघा थाना में हाल ही में जांच टीम को एक बैरक में काफी संख्या में शराब की बोतल मिली. इसके बाद तत्काल दीघा थाने के थानेदार रामप्रीत पासवान को निलंबित कर दिया गया और दारोगा फूल कुमार चौधरी और चालक राजेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया गया. वैसे यह कोई पहली घटना नहीं है जब रक्षक ही भक्षक की कहावत को चरितार्थ किया गया हो.
ये कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले सितंबर 2023 में शराब की तस्करी के रोप में वैशाली एसपी रवि रंजन ने सराय थानाध्यक्ष विदुर कुमार, संतरी सुरेश कुमार, मालखाना प्रभारी मुनेश्वर कुमार और चौकीदार रामेश्वर राय को निलंबित कर दिया. वहीं, प्राथमिक दर्ज की गई.
अक्टूबर साल 2020 में रोहतास जिले के मुफ्फसिल थाना क्षेत्र में संयुक्त केन्द्रीय टीम द्वारा छापेमारी में शराब बरामद हुई थी. शराब बनाने में इस्तेमाल होनेवाला कच्चा माल भी मिला था. शराबबंदी को लागू करने में विफल रहने पर मुफ्फसिल थानेदार इंस्पेक्टर राकेश कुमार सिंह को निलंबित किया गया है. वहीं, एसडीपीओ सासाराम से स्पष्टीकरण की मांग की गई है.
कैमूर के मोहनियां अनुमंडल स्थित कुदरा थाने का दूसरा मामला है. छापेमारी में थाना क्षेत्र में शराब की बरामदगी के मामले में कुदरा के थानेदार सब-इंस्पेक्टर शक्ति कुमार सिंह और थाना क्षेत्र के महाल चौकीदार रामसकल राम को निलंबित कर दिया गया. मोहनियां के एसडीपीओ की लापरवाही मानते हुए उनसे भी स्पष्टीकरण मांगा गया .
गया जिले के रौशनगंज के थानेदार सब-इंस्पेक्टर प्रभात कुमार शरण पर भी गाज गिरी . लोक सूचना केन्द्र में आई शिकायत के बाद कोई कार्रवाई नहीं की गई. वहीं, मद्यनिषेध की विशेष टीम द्वारा उसी सूचना पर सरिता देवी नामक महिला को शराब के साथ गिरफ्तार कर थाने के सुपुर्द किया गया पर थानेदार ने सरिता देवी को छोड़ दिया और उसकी जगह पति महेश भुइया को प्राथमिकी में नामजद कर दिया था.
मुख्यालय ने इसे लापरवाही, मनमानेपन और संदिग्ध आचरण मानते हुए थानेदार प्रभात कुमार शरण को निलंबित कर दिया गया था. तीनों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही के भी आदेश दिए गए .बता दें कि इससे पहले इससे पहले चार थानेदार निलंबित किए गए थे. वहीं, मुजफ्फरपुर सिटी एसपी के अलावा दो एसडीपीओ से शो कॉज किया गया था.
नवंबरके आखिर में पुलिस मुख्यालय ने शराबबंदी कानून को लागू करने में लापरवाही बरतने के आरोप में पटना के कंकड़बाग, गंगाब्रिज, मीनापुर और अहियापुर के थानेदार को निलंबित कर दिया था. एसडीपीओ के साथ मुजफ्फरपुर के सिटी एसपी से शो कॉज किया था. साल 2017 में बिहार में शराबबंदी के बाबजूद शराब बिक्री पर रोक न लगा पाने की वजह से 42 इंस्पेक्टर और सब-इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को थानेदार न बनाए जाने का आदेश आईजी मद्य निषेध ने जारी किया था. हालांकि पुलिस एसोशिएसन में इसको लेकर अंदरूनी मर्मरी भी हुई. और जानकार बताते है कि इन लोगों ने इस बाबत आपत्ति भी दर्ज कराई.इस बाबत जारी अधिसूचना संख्या 441 दिनांक 6 जुलाई 19 पर एसपी मद्य निषेध अशोक कुमार के दस्तखत थे जिसकी कापी ज़िलों के एसएसपी के साथ रेंज डीआईजी और आईजी को भी भेजी गई थी जिसमें नौ इंस्पेक्टर और 33 सब-इंस्पेक्टरों के नाम के साथ वर्तमान पदस्थापना और जहां वे पहले पदस्थापित थे और दोषी पाए गए वहां का स्थान अंकित था.
2018 की जनवरी में बिहार के गवर्नर सत्यपाल मलिक ने एक कार्यक्रम में कह डाला कि शराबबंदी के बाद बिहार में अपराध का ग्राफ गिरा है. बिहार में हर किस्म के अपराध में कमी आई है हालांकि ऐसा नहीं था और बाद में नेशनल क्राइम ब्यूरो के आंकड़ों ने मलिक की बातों को झूठा साबित किया.दरअसल शराबबंदी के बाद अपराध ने अपना स्वरूप बदल लिया था, अपराध की रफ्तार तेज हो गई थी. अपराध के रंग बदल गए थे, अपराधी और उनके आका बदल गए थे या फिर नए नए आका आ गए थे लेकिन अपराध पर काबू नहीं पाया गया था. आम पियक्कड़ों की छोड़िए कई कई पुलिसवालों ने शराब नहीं मिलने की सूरत में ऐसा ड्रामा किया कि पूरा अमला सकते में था, एक थानेदार साब ने तो नशे के लिए कपड़े धोने का साबुन चबा डाला .