सेब पर लगे स्टीकर का सच जानकर उड़ जाएंगे होश, खरीदने से पहले जान लीजिए की आखिर स्टीकर पर छपे अंको से स्वास्थ्य का क्या है रिलेशन ?

PATNA: सेब खाने के कई फायदे होते हैं। अक्सर डॉक्टरों के द्वारा सुबह सुबह एक सेब खाने की सलाह दी जाती है। मार्केट में मिलने वाले सेबों में अक्सर स्टीकर लगे होते हैं। लेकिन आपने कभी सोचा है कि सेब पर स्टीकर क्यों लगाए जाते हैं। हम बाजार से सेब लाते हैं और उसे काटकर खा लेते हैं लेकिन कभी ये जानने की कोशिश नहीं किए की आखिर ये स्टीकर फलों पर क्यों लगाए जाते हैं। आइए हम आज जानते हैं कि फलों पर स्टीकर क्यों लगाए जाते हैं। 

सेबों पर क्यों लगे होते हैं स्टीकर

दरअसल, स्टीकर लगे फलों को देख कर लोग यही समझते हैं कि ये फल महंगे होंगे। कई बार दुकानदार भी स्टीकर लगे फलों को मानमाने रेट पर बेचते हैं। लेकिन स्टीकर लगे सेबों का संबंध कीमत से ना होकर सेहत से होता है। सेबों पर लगे स्टीकरों के कई मतलब होते हैं। फलों पर चिपके स्टीकर्स में उसकी कीमत और एक्‍सपायरी डेट के अलावा एक पीएलयू यानि कि Price look-up code कोड लिखा होता है। यह कोड फलों की क्‍वालिटी को दर्शाता है और बताता है कि यह फल कैसे उगाया गया है। पीएलयू कोड में 3 प्रमुख विशेष कोड होते हैं।

अलग अलग कोड का मतलब

फलों पर 4 से 8 से और 9 से शुरू होने वाले अंक लिखे हुए होते हैं। जिनका अलग अलग मतलब होता है। कुछ सेबों पर चार अंकों की संख्या लिखी होती है।  जिसकी शुरुआत अंक 4 से शुरू होती है, जैसे 4026,4987 आदि,  इसका मतलब है कि इस तरह के फल कीटनाशक और रसायनों द्वारा उगाए गए हैं। इनमें पेस्टिसाइड्स का भरपूर इस्‍तेमाल किया गया है। ये फल सबसे सस्‍ते होते हैं। इन्‍हें खाने का मतलब है कि आप खाद और कीटाणुनाशक वाला फल खरीद रहे हैं।

8 अंकों के कोड वाले सेब के फायदे नुकसान  

वहीं कुछ सेबों में पांच अंकों की संख्या लिखे होते हैं। जिनकी शुरूआत 8 अंक से होता है। जैसे 84131 या 86532 आदि लिखा होता है। इससे साफ है कि इन फलों में अनुवांशिक रूप से संशोधन किया गया है। ये फल भी ऑर्गनिक नहीं होते और जीएम फसल के फल के रूप में सामने आते हैं। ये कीटनाशकों वाले से थोड़े महंगे हो सकते हैं, इनके फायदे नुकसान दोनों हैं।

सेहत के लिए लाजवाब होता है 9 अंक के कोड वाले सेब

जबकि कुछ फलों पर 9 अंक से शुरू होने वाले पांच अक्षरों के कोड दिए हुए होते हैं। जैसे फल पर 93435 लिखा होता है। तो इसका अर्थ है कि ये फल जैविक रूप से उगाए गए हैं। इनमें कोई कीटनाशक का इस्‍तेमाल नहीं हुआ। ये सबसे सुरक्षित फल कहलाता है और कीमत में महंगा होने के साथ ही सेहत के लिए लाजवाब होता है। वहीं आज कल कुछ फलों पर लगे स्टीकर में अकों के बजाय एक्‍सपोर्ट क्‍वालिटी, बेस्‍ट क्‍वालिटी या प्रीमियम क्‍वालिटी जैसे शब्‍द लिखे होते हैं। ये नकली स्‍टीकर होते हैं। ये खरीदारों को बरगलाने के लिए लगाए जाते हैं और इनमें ऐसे गोंद का इस्‍तेमाल किया जाता है जो खराब होता है।

फलों का सेवन गर्म पानी से धोकर ही करें

ऐसे में जब भी फल खरीदने जाएं तो स्टीकर पर लगे अंकों का ध्यान से देखे। वहीं जब भी फल को लाएं तो इसे गर्म पानी में अच्छे से धो लें। इसके बाद ही फलों का सेवन करें।  फलों पर जहां स्टीकर लगे हुए हो उसे अच्छे से काट लें। बिना धोए किसी भी तरह के फल का सेवन ना करें। कई बार दुकानदार सेब के खराब हुए हिस्सें में स्टीकर लगाकर उसे बेच देते हैं ऐसे में आप सावधानी से फलों की खरीदारी करें और उनका सेवन करें।