UP NEWS: करंट से दोनों हाथ गंवाया 9 साल तक लड़ा मुकदमा, बिजली विभाग पर लगा 20 लाख का जुर्माना

रामपुर: एक दिल दहला देने वाली घटना में, 7 वर्ष की आयु में करंट की चपेट में आकर दोनों हाथ गंवाने वाले नाबालिग ने 9 वर्षों तक अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया। अब 16 वर्ष के चंदन को न्याय मिला है, जब सिविल जज (प्रवर वर्ग)/त्वरित न्यायालय के न्यायाधीश संजय कुमार सिंह ने बिजली विभाग को दोषी ठहराया और पीड़ित को 20 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। यह मुआवजा पीड़ित को दो महीने के भीतर दिया जाना है, साथ ही इस धनराशि पर मुकदमा दायर करने की तारीख से छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज भी दिया जाएगा।
क्या हुआ था?
नौ साल पहले, 7 वर्षीय चंदन ने बिजली विभाग के खिलाफ अदालत में मुकदमा दायर किया था। उसका कहना था कि उनके घर के छज्जे से महज 8-10 इंच की दूरी पर 33 केवी का बिजली तार गुजर रहा था। तार के बीच में न तो सुरक्षा गार्डिंग थी, न ही पोल लगाकर तारों को सही तरीके से कसा गया था। इस खतरे को पहचानते हुए, चंदन के पिता और मोहल्ले के अन्य लोगों ने 28 जुलाई 2015 को अधिकारियों से लाइन हटाने की मांग की थी, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।
14 दिसंबर 2015 को चंदन छत पर बैठकर पढ़ाई कर रहा था। तभी बाहर से किसी व्यक्ति ने आवाज दी, और वह छत से नीचे झांकने के लिए मुड़ा। इस दौरान ढीले पड़े बिजली के तार ने हवा के झोंके से छज्जे पर लगी लोहे की ग्रिल से संपर्क किया। इससे करंट उतर आया और चंदन के दोनों हाथ गंभीर रूप से झुलस गए। इलाज के लिए दिल्ली भेजा गया, लेकिन चिकित्सकों ने दोनों हाथों को काटने की सलाह दी।
मुकदमा और न्याय
चंदन के अधिवक्ता पंकज जैन ने बताया कि उन्होंने इस मामले में 63 लाख रुपये के मुआवजे की मांग की थी, और इसके समर्थन में कुछ ऐसे उदाहरण प्रस्तुत किए थे, जिसमें पीड़ितों को 50 लाख रुपये तक का मुआवजा दिया गया था। हालांकि, अदालत ने 20 लाख रुपये के मुआवजे का आदेश दिया है। इसके साथ ही, इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील दायर करने की योजना है, ताकि पीड़ित को कम से कम 50 लाख रुपये का मुआवजा मिल सके। यह निर्णय न केवल चंदन के लिए एक बड़ी राहत है, बल्कि यह बिजली विभाग और अन्य संबंधित अधिकारियों के लिए एक चेतावनी भी है कि भविष्य में इस तरह की लापरवाही से बचने के लिए उन्हें सख्त कदम उठाने होंगे।