गुजरात, जहां सालों से शराबबंदी कानून लागू है, अब फिर सुर्खियों में है। राज्य सरकार ने हाल ही में विधानसभा को जानकारी दी कि राज्य के 28 होटलों और जगहों को शराब बेचने की अनुमति दे दी गई है। इन जगहों को सरकारी परमिट जारी किए गए हैं, जिससे साफ है कि शराबबंदी वाले इस राज्य में शराब की बिक्री अब नाममात्र की पाबंदी में बदल गई है।
कहां-कहां दिया गया है परमिट?
सरकार द्वारा साझा किए गए आंकड़ों के मुताबिक, अहमदाबाद में 20 और गांधीनगर में 4 होटलों को शराब बेचने की अनुमति दी गई है। इसके अलावा अहमदाबाद और गांधीनगर के ग्रामीण इलाकों के 4 होटलों को भी शराब बेचने का परमिट मिला है। सरकार ने विधानसभा में लिखित जवाब के जरिए यह जानकारी दी। इस दौरान यह भी बताया गया कि पिछले दो सालों के दौरान किसी भी होटल का परमिट निलंबित नहीं किया गया है।
शराब से सरकार को करोड़ों का राजस्व
शराबबंदी के बावजूद गुजरात में शराब की बिक्री से सरकार को भारी मुनाफा हो रहा है। फरवरी 2023 से जनवरी 2024 तक शराब की बिक्री से सरकार को 14.45 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ। इसके बाद फरवरी 2024 से जनवरी 2025 तक यह आय बढ़कर 19.53 करोड़ रुपए हो गई। इससे साफ है कि शराब की बिक्री से मिलने वाले कर राजस्व में काफी बढ़ोतरी हो रही है।
गुजरात में शराबबंदी के बावजूद सरकार द्वारा जल्दबाजी में होटलों को परमिट दिए जाने से सवाल उठने लगे हैं। एक तरफ सरकार शराबबंदी के सख्त नियमों की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ राजस्व बढ़ाने के लिए शराब की बिक्री की इजाजत दे रही है। पिछले दो सालों में किसी भी होटल का परमिट निलंबित नहीं किया गया है, जिससे साफ है कि राज्य में शराबबंदी सिर्फ कागजों तक ही सीमित रह गई है।
शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामले भी बढ़े
शराब के परमिट और बिक्री में बढ़ोतरी के साथ ही राज्य में शराब पीकर गाड़ी चलाने के मामलों में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। वर्ष 2023 में शराब पीकर गाड़ी चलाने के 27,495 मामले दर्ज किए गए, जो वर्ष 2021-22 में दर्ज 13,153 मामलों की तुलना में दोगुनी वृद्धि दर्शाता है।