Bihar Election - एसआईआर के बाद बिहार विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने लिया एक और बड़ा फैसला, सब बदल दिया, जानें क्या है पूरी खबर

Bihar Election बिहार विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्शन कमीशन ने एसआईआर के बाद एक बड़ा फैसला लिया है। जो कि देश में पहली बार होने जा रहा है।

Bihar Election  - एसआईआर के बाद बिहार विधानसभा चुनाव से पहले

Patna - बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जहां एसआईआर कराने के बाद चुनाव आयोग ने एक और  बड़ा फैसला लिया है। आयोग ने वोटिंग के दौरान इस्तेमाल होनेवाले ईवीएम  बैलेट पेपर को बदलने का निर्णय लिया है। जहां पहले बैलेट पेपर ब्लैक एंड व्हाइट पेपर में होता था। वहीं अब इसे रंगीन किया जा रहा है। आयोग का मानना है कि यह बदलाव मतदाताओं को सही उम्मीदवार पहचानने में आसानी देगा। साथ ही चुनाव आयोग ने सभी राज्यों में एसआईआर कराने की घोषणा की है।

उम्मीदवार की तस्वीर होगी स्पष्ट

चुनाव आयोग के अनुसार उम्मीदवार की फोटो का तीन-चौथाई हिस्सा सिर्फ चेहरे को दिखाने के लिए होगा। इससे तस्वीरें पहले से ज्यादा स्पष्ट होंगी और मतदाताओं को नाम और चेहरे के बीच भ्रम की स्थिति से बचाया जा सकेगा। खासकर उन क्षेत्रों में जहां एक जैसे नाम वाले उम्मीदवार चुनाव लड़ते हैं, यह कदम बेहद कारगर साबित होगा।

नोटा को लेकर भी बड़ा फैसला

चुनाव आयोग ने यह भी तय किया है कि उम्मीदवारों और नोटा (NOTA) के सामने अंक अब बड़े और बोल्ड फॉन्ट में लिखे जाएंगे। साथ ही सभी उम्मीदवारों और नोटा के नाम एक ही फॉन्ट टाइप और साइज में होंगे ताकि सभी को आसानी से पढ़ा जा सके

खास पेपर का  होगा इस्तेमाल

नए बैलेट पेपर 70 जीएसएम पेपर पर छपेंगे. विधानसभा चुनावों के लिए इन्हें गुलाबी रंग में तैयार किया जाएगा। आयोग का कहना है कि यह कदम चुनावी प्रक्रिया को पारदर्शी और आधुनिक बनाने की दिशा में अहम है.

बिहार के बाद दूसरे राज्यों में भी यही व्यवस्था

चुनाव आयोग ने बताया कि बिहार विधानसभा चुनाव से इन बदलावों की शुरूआत की जा रही है।. इसके बाद चरणबद्ध तरीके से इन्हें पूरे देश में लागू किया जाएगा. चुनाव आयोग का कहना है कि पिछले छह महीनों में 28 सुधार लागू किए गए हैं और यह उसी कड़ी का हिस्सा है.

पूरे देश में लागू होगा एसआईआर

चुनाव आयोग ने यह भी घोषणा की है कि जल्द ही पूरे देश में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू होगा। इससे मतदाता सूची को अपडेट करने में आसानी होगी और कई राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं को किसी दस्तावेज की जरूरत नहीं पड़ेगी.