23 लोगों की दर्दनाक मौत, निकलना तो दूर, चिल्लाने का वक्त भी नहीं मिला, सिलेंडर फटने से आग का गोला बना क्लब!, पीएम ने जताया शोक

Nightclub Fire: शनिवार की रात उस वक़्त ख़ूनी साया बन गई, जब एक पॉश नाइट क्लब में लगी भीषण आग ने महज चंद मिनटों में 23 बेगुनाह ज़िंदगियाँ निगल लीं।

Goa 23 dead
23 लोगों की दर्दनाक मौत- फोटो : social Media

Nightclub Fire: शनिवार की रात उस वक़्त ख़ूनी साया बन गई, जब एक पॉश नाइट क्लब में लगी भीषण आग ने महज़ चंद मिनटों में महफ़िल को मातमख़ाना बना दिया।  इसे सीधा-सीधा लापरवाही की क़त्लगाह कहा जा रहा है जहाँ सिस्टम की चूक और सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति ने 23 बेगुनाह ज़िंदगियाँ निगल लीं। शुरुआती तहक़ीक़ात में इस त्रासदी की जड़ एक सिलेंडर ब्लास्ट बताई जा रही है, जिसने धुएँ का ऐसा कहर बरपाया कि ज़्यादातर लोग दम घुटने से ढेर हो गए।

घटना रात ठीक 12:04 बजे उस वक़्त हुई, जब गोवा के अरपोरा गाँव के क्लब में संगीत और मदहोशी का शोर चरम पर था। लेकिन चंद सेकंड में ही पूरा माहौल धाँय से चीख़-पुकार में तब्दील हो गया। आग की लपटों ने एंट्री-एग्ज़िट को जाल बना दिया लोग फँसे, गिरते-पड़ते बाहर निकलने की कोशिश करते रहे, लेकिन ज़्यादातर की तक़दीर वहीं सुलगती राख पर लिखी जा चुकी थी।

गोवा के  मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने मौके का मुआयना करते हुए साफ कहा कि सरकार ने हाई-लेवल जांच के आदेश दे दिए हैं। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज़ में एम्बुलेंसों की लंबी कतारें, धुएँ से झुलसे लोग और पुलिस-दमकल की ऑपरेशन रेस्क्यू की जद्दोजहद साफ दिखाई दे रही है। पुलिस प्रमुख के मुताबिक, रातभर चले अभियान के बाद आग काबू में कर ली गई और सभी शव बरामद कर लिए गए।

गोवा जो आम दिनों में सैलानियों के लिए जन्नत माना जाता है इस हादसे के बाद काली रात जैसे जुर्म की एक बड़ी वारदात का गवाह बन गया। सरकारी आँकड़ों के मुताबिक, इस साल की पहली छमाही में 55 लाख से ज़्यादा पर्यटक यहाँ आए, जिनमें लाखों विदेशी भी शामिल हैं। ऐसे में इस तरह की घटना न सिर्फ सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है, बल्कि पर्यटन की रीढ़ पर भी चोट है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दिल दहला देने वाली घटना पर गहरा दुख जताते हुए मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना प्रकट की और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की कामना की। सरकार ने वादा किया है कि पीड़ितों को हर मदद दी जाएगी, मगर सवाल वही है क्या यह आग थी या सिस्टम की वह पुरानी लापरवाही, जो हर बार मासूमों की जान ले उड़ती है?