Air india plane crash - लकी नंबर है 11A, अहमदाबाद प्लेन क्रैश में बाल-बाल बचे इसी सीट पर बैठे विश्वास रमेश, पहले भी एक पैसेंजर की बची थी जान, जानें पूरी घटना
Air india plane crash - अहमदाबाद प्लेन क्रैश की घटना में 11ए सीट पर बैठ इकलौते जीवित बचे यात्री ने ढाई दशक पुराने प्लेन क्रैश की याद दिला दी है। जब इसी सीट नंबर के यात्री की जान बच गई थी।

N4N Desk - दो दिन पहले अहमहबाद में एयरइंडिया के ड्रीमलाइनर प्लेन क्रेश में 241 यात्रियों सहित 24 डॉक्टरों की मौत हो गई। सिर्फ एक यात्री विश्वास कुमार रमेश इस दर्दनाक घटना में जीवित बचे। वह प्लेन में सीट नंबर 11A पर बैठे थे। वह इतने बड़े हादसे में जीवित कैसे बचे, इसको लेकर सभी हैरान है। लेकिन जिस सीट पर वह बैठे थे, उसको लेकर भी चर्चा शुरु हो गई है। यह पहली बार नहीं है कि प्लेन क्रैश में 11ए सीट का यात्री जीवित बच गया है। इससे पहले भी ऐसी ही एक घटना हो चुकी है। उस समय भी इसी सीट का यात्री जीवित बच गया था. अब जब रमेश जीवित बच गये तो फिर से उस घटना को याद किया जा रहा है।
27 साल पहले की घटना
दरअसल 27 वर्ष पहले 11 दिसंबर 1998 को थाई एयरवेज की उड़ान टीजी 261 दक्षिणी थाईलैंड में उतरने का प्रयास करते समय रुक गई और दलदल में जा गिरी, जिससे विमान में सवार 146 लोगों में से 101 की मौत हो गई। इसएक घातक विमान दुर्घटना में जीवित बचनेवालों में अभिनेता-सिंगर रुआंगसाक लोयचुसाक भी शामिल थे। जो अब अहमदबाद घटना के बाद चर्चा में आ गए हैं।
थाईलैंड के अभिनेता ने क्या कुछ कहा
रुआंगसाक (अब 47 वर्ष के) ने कहा कि जब उन्हें पता चला कि विश्वाश कुमार रमेश, एक ब्रिटिश नागरिक जो एयर इंडिया की उड़ान संख्या एआई 171 दुर्घटना में चमत्कारिक रूप से बच गया था। विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के समय 11ए में बैठा था तो उनके रोंगटे खड़े हो गए।
10 साल प्लेन से नहीं किया सफर
रुआंगसाक ने बताया कि उनके पास 1998 का बोर्डिंग पास नहीं है, लेकिन समाचार पत्रों में उनके सीट नंबर और जीवित होने के बारे में जानकारी दी गई है। हादसे के बाद, उन्होंने एक दशक तक फिर से उड़ान नहीं भरी।
रमेश विश्वास ने बताई हादसे की पूरी कहानी
सीट 11A पर हुए चमत्कार ने लोगों को चौंका दिया और वैश्विक स्तर पर इस पर आकर्षण पैदा कर दिया। आपातकालीन निकास द्वार पर बैठे रमेश विमान से उछलकर बाहर आ गए और कई चोटों के बावजूद मलबे से निकलकर प्रतीक्षा कर रही एम्बुलेंस में जा बैठे। रमेश ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि जब विमान में सवार सभी लोग मारे गए तो वह कैसे बच गए। कुछ समय के लिए मुझे लगा कि मैं भी मरने वाला हूं। लेकिन जब मैंने अपनी आंखें खोलीं, तो मुझे एहसास हुआ कि मैं जीवित हूं और मैंने सीट से बेल्ट खोलकर जहां भी संभव हो भागने की कोशिश की।