Crime News: लाल किला कार ब्लास्ट,खुफिया एजेंसियों की जांच में बड़े आतंकी मॉड्यूल का खुलासा, तुर्की-अफगान का कनेक्शन जानकर हैरान हो जाएंगे आप
Crime News: पत्थर की लकीर की तरह यह साफ हो गया है कि 10 नवंबर का दिल्ली हमला किसी अकेले भटके युवक का करतूत नहीं, बल्कि एक ट्रांसनेशनल आतंकी मॉड्यूल की लंबे समय से बुनी गई साजिश का हिस्सा था।
Crime News: दिल्ली के लाल किले के करीब हुए आत्मघाती कार धमाके ने जिस तरह राजधानी की सुरक्षा को झकझोर दिया था, अब उसकी जांच में खुफिया एजेंसियों ने कई सनसनीखेज पर्दाफाश किए हैं। जांच में पत्थर की लकीर की तरह यह साफ हो गया है कि यह हमला किसी अकेले भटके युवक का करतूत नहीं, बल्कि एक ट्रांसनेशनल आतंकी मॉड्यूल की लंबे समय से बुनी गई साजिश का हिस्सा था। हमला करने वाला उमर नबी विस्फोटक से भरी कार लेकर आया था और धमाके में कम से कम 15 लोग मारे गए। उमर मौके पर ही ढेर हो गया।
NIA की बड़ी कार्रवाई में अबतक चार आरोपी डॉक्टर और एक मुफ्ती गिरफ्तार हो चुका है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने मॉड्यूल से जुड़े चार अहम आरोपियों में डॉ. मुज़म्मिल शकील गनाई (पुलवामा),डॉ. अदील अहमद राठर (अनंतनाग),डॉ. शहीन सईद (लखनऊ) और मुफ्ती इरफान अहमद (शोपियां) को दबोचा है।
जांच में यह भी सामने आया कि फरीदाबाद में पकड़े गए मुज़म्मिल के पास से 2500 किलो अमोनियम नाइट्रेट बरामद किया गया, जो किसी बड़े पैमाने के धमाकों की तैयारी की ओर इशारा करता है। इससे पहले उसने 5 लाख रुपये में AK-47 राइफल खरीदी थी, जो बाद में आरोपी अदील के बैंक लॉकर से बरामद हुई।
खुफिया सूत्रों के मुताबिक, यह मॉड्यूल पाकिस्तान–अफगानिस्तान के क्लासिक जिहादी नेटवर्क की तरह काम करता था।मुज़म्मिल को अलग हैंडलर से निर्देश मिलते थे।उमर नबी, जो कार ब्लास्ट को अंजाम देने आया, दूसरे हैंडलर से जुड़ा था।इन दोनों के ऊपर दो प्रमुख हैंडलर मंसूर और हाशिम तैयारियों की निगरानी कर रहे थे।इनके ऊपर एक “सीनियर सुपरवाइजर” बैठा था, जो पूरे प्लान को कंट्रोल कर रहा था।
यह संरचना दर्शाती है कि ऑपरेशन पूरी तरह प्रोफेशनल, एक्सपर्ट-लेवल प्लानिंग और विदेशी सरपरस्ती में चल रहा था।जांच में एक और बड़ा खुलासा यह हुआ है कि वर्ष 2022 में मुज़म्मिल, अदील और मुजफ्फर अहमद तुर्की गए थे। वहां उन्हें तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान से जुड़े उकाशा नामक व्यक्ति की निगरानी में रखा गया था। योजना थी कि उन्हें तुर्की से अफगानिस्तान भेजकर आतंकी ट्रेनिंग दिलाई जाए, लेकिन एक सप्ताह इंतज़ार कराने के बाद संपर्क टूट गया।
मुज़म्मिल और उकाशा की बातचीत टेलीग्राम ID पर होती थी। जांचकर्ताओं के अनुसार, जब मुज़म्मिल ने अपने “मुख्य हैंडलर” के बारे में जानकारी मांगी, तभी बातचीत और सक्रिय हो गई।