Snakebite Scam - सर्पदंश से अधिकारियों ने 47 लोगों को 279 बार मार डाला, निगल लिए 11.26 करोड़ रुपए, कार्रवाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति
Snakebite Scam - सर्पदंश से मौत पर मिलनेवाले मुआवजे के लिए अधिकारियों ने बड़ा घोटाला ही कर डाला, अधिकारियों ने 47 लोगों को 279 बार मार दिया और उनके नाम पर सरकार से मिले लाखों की राशि डकार ली।

N4n desk - सरकारी योजनाओं में किस-किस तरह के स्कैम होते हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। अब एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें अधिकारियों ने एक ही व्यक्ति को 19 बार सांप के डंसने से मौत की पुष्टि की और उनकी मौत पर सरकार से मिलने वाले मुआवजे के 76 लाख डकार लिए। यह सिर्फ एक उदाहरण है। बताया जा रहा है कि इस तरह की गड़बड़ी कर 11.26 करोड़ रुपए का घोटाला किया गया। इस दौरान 47 लोगों को 279 बार अधिकारियों ने कागज में मार डाला
यह पूरा मामला मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से जुड़ा है। जहां इस बड़े घोटाले के के सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है। जिन 47 लोगों को अधिकारियों 279 बार मारा, उनमें एक नाम मलारी गांव के 70 वर्षीय किसान संत कुमार बघेल भी शामिल हैं। जो अभी जीवित हैं, लेकिन अधिकारियों ने 19 बार सर्पदंश से मृत बना दिया और हर बार मुआवजे में मिलनेवाली चार लाख की राशि का बंदरबांट कर लिया। इस संत कुमार के नाम पर 76 लाख रुपए डकार लिए गए।
संत कुमार बघेल ने बताया, ''मुझे चार दिन पहले पता चला कि मेरे नाम पर सांप काटने से मृत्यु दिखाकर राशि निकाली गई है. मुझे कभी सांप ने नहीं काटा. गांव में 60-70 साल में एक-दो मामले ही सांप काटने से मौत के हुए हैं।' किसान संत कुमार आगे कहते हैं, ''इस घटना से मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची है। कुछ लोग मान रहे हैं कि मैंने पैसे लिए होंगे, जबकि कोई राशि नहीं मिली। हृदय संबंधी रोग से जूझ रहे बुजुर्ग संत कुमार ने कहा, “मैं इस मामले में मानहानि का दावा ठोकूंगा और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करूंगा.''
महिला को 29 बार मारा
संत कुमारर इकलौते ऐसे नहीं हैं, बिछुआ रयत गांव की ‘द्वारकाबाई’ (जो वास्तव में कभी थी ही नहीं)को 29 बार मृत दिखाकर 1 करोड़ 16 लाख रुपए निकाले गए. इसी तरह ‘श्री राम’ नामक शख्स को 28 बार मृत दिखाकर मुआवजा हड़पा गया, जिनका गांव में कोई अस्तित्व नहीं मिला.
2019 से 2022 के बीच हुआ घोटाला
यह घोटाला 2019 से 2022 के बीच केवलारी तहसील में हुआ. मध्य प्रदेश शासन की योजना के तहत सांप काटने, डूबने या आकाशीय बिजली गिरने से मृत्यु पर परिजनों को 4 लाख रुपए मुआवजा दिया जाता है. इसी योजना का दुरुपयोग कर 279 फर्जी मामलों में 11 करोड़ 26 लाख रुपए हड़पे गए.
क्लर्क ने किया कारनामा
इस घोटाले का मुख्य आरोपी केवलारी तहसील कार्यालय का क्लर्क सचिन दहायत बताया गया, जिसे बर्खास्त कर जेल भेज दिया गया है. 2022 में पुलिस ने 37 लोगों को आरोपी बनाया, जिनमें से 21 गिरफ्तार हुए और 20 को जमानत मिल गई।
कोष एवं लेखा विभाग की जांच में पता चला कि तत्कालीन एसडीएम और चार तहसीलदारों के लॉगिन पासवर्ड का दुरुपयोग कर सचिन दहायत ने यह घोटाला अंजाम दिया। विभाग ने कलेक्टर को सौंपी रिपोर्ट में इन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की है।
नहीं हुई वसूली
हैरानी की बात है कि मलारी गांव केवलारी तहसील कार्यालय से महज 3 किलोमीटर दूर है, फिर भी किसी अधिकारी ने संत कुमार की जीवित होने की पुष्टि नहीं की। तीन साल बाद भी 11 करोड़ 26 लाख रुपए में से एक भी रुपए की वसूली नहीं हुई है. कलेक्टर ने कहा कि वे अनुशंसा का अध्ययन कर नियमानुसार वैधानिक कार्रवाई करेंगे।