Indian Railway:भारत का वो स्टेशन जहां कभी नहीं रुकती यात्री ट्रेन, कभी गांधी जी और सुभाषचंद्र बोस करते थे यात्रा, जानें वजह

Indian Railway: भारत में कई अद्वितीय रेलवे स्टेशन हैं, लेकिन भारत-बांग्लादेश सीमा के निकट एक रेलवे स्टेशन ऐसा भी है जो पूरी तरह से क्रियाशील तो है लेकिन यहां कोई भी यात्री ट्रेन नहीं रुकती। यात्रियों के लिए यह सुनसान बना हुआ है

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भारत की वो स्टेशन जहां कभी नहीं रुकती यात्री ट्रेन- फोटो : Hiresh Kumar

Indian Railway: भारत में रेलवे का विशाल नेटवर्क है, जहां लाखों यात्री रोजाना सफर करते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसा रेलवे स्टेशन भी है जहां एक भी यात्री ट्रेन नहीं रुकती? यह स्टेशन पूरी तरह से चालू होने के बावजूद सुनसान रहता है।

सिंघाबाद रेलवे स्टेशन भारत का एक ऐसा अनोखा रेलवे स्टेशन है, जहां कभी भी कोई यात्री ट्रेन नहीं रुकती। यह स्टेशन पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हबीबपुर क्षेत्र में स्थित है और इसे भारत-बांग्लादेश सीमा का अंतिम बिंदु माना जाता है। यहां से बांग्लादेश की सीमा शुरू होती है, और इस कारण से इसका ऐतिहासिक महत्व भी है।

सिंघाबाद रेलवे स्टेशन का निर्माण ब्रिटिश शासन के दौरान हुआ था। यह कोलकाता और ढाका के बीच यात्रा और व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी था। महात्मा गांधी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस जैसे प्रमुख नेताओं ने भी इस स्टेशन का उपयोग किया था जब वे ढाका की यात्रा करते थे। 1947 में भारत के विभाजन के बाद, इस स्टेशन की भूमिका में कई बदलाव आए।

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1971 में बांग्लादेश बनने के बाद, सिंघाबाद रेलवे स्टेशन की भूमिका बदल गई। 1978 में एक द्विपक्षीय समझौते के तहत, यहां से केवल मालगाड़ियों का संचालन शुरू किया गया। आज यह स्टेशन पूरी तरह से सुनसान है; प्लेटफॉर्म पर कोई हलचल नहीं होती, और टिकट काउंटर बंद पड़े हैं। केवल कुछ रेलवे कर्मचारी यहां तैनात हैं जो इसकी देखरेख करते हैं।

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इस स्टेशन का ऐतिहासिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह स्वतंत्रता संग्राम के समय प्रमुख नेताओं द्वारा इस्तेमाल किया जाता था। हालांकि, आजादी के बाद से इसकी स्थिति में काफी बदलाव आया है और अब यह पूरी तरह से वीरान पड़ा हुआ है।सिंघाबाद रेलवे स्टेशन अब केवल मालगाड़ियों के लिए एक ट्रांजिट पॉइंट बन चुका है, जबकि यात्री ट्रेनों का यहां कोई ठहराव नहीं होता। एक समय पर यह स्थान यात्रियों से भरा रहता था लेकिन अब इसका अस्तित्व मात्र इतिहास बनकर रह गया है।

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