Bihar News : 32 सालों के बाद कुटकु डैम का हल हुआ मामला, जल भंडारण के लिए जल्द लगेगा फाटक, इन जिलों के किसानों को होगा फायदा.....

AURANGABAD : 1972 से अधर में लटकी बिहार-झारखंड के पलामू, गढ़वा, औरंगाबाद और गया जिले के लाखों हेक्टेयर खेतों की सिंचाई तथा किसानों के लिए जीवनदायिनी कहे जाने वाली उतर कोयल नहर परियोजना के उद्गम स्थल झारखंड के लातेहार जिले के कुटकु में 1993 से बनकर तैयार कुटकु डैम में जल भंडारण के लिए फाटक लगाने का काम शीघ्र ही शुरु होने के आसार बन गए है।
आज प्रेस वार्ता के दौरान यह जानकारी देते हुए औरंगाबाद के पूर्व सांसद और भाजपा नेता सुशील कुमार सिंह ने बताया कि उतर कोयल जलाशय परियोजना के लिए कुटकु डैम में फाटक लगाने का काम इस कारण शुरू नही हो पा रहा था। क्योंकि विस्थापित किसान मुआवजा लिए बगैर जमीन छोड़ने को तैयार नही थे, जबकि पूर्व में उनके पूर्वज मुआवजा ले चुके थे। लेकिन इसके बावजूद वें पता नही होने की बात कह मुआवजा लेने पर अड़े थे। इस वजह से केंद्र सरकार ने विस्थापितों को दूसरी बार मुआवजा दिए जाने की स्वीकृति दे दी है, जो अब उन्हे मिल भी रहा है।
पूर्व सांसद ने बताया कि कुटकु डैम से विस्थापित हो रहे वहां के 7 गांव के 780 विस्थापित किसान परिवारों को केंद्र सरकार द्वारा दूसरी बार मुआवजा दिया जा रहा है। मुआवजे के रुप में एक परिवार को 15 लाख रुपये और एक एकड़ जमीन दी जा रही है। इसके तहत पहली किश्त के रूप में प्रति किसान 10-10 लाख और झारखंड के गढ़वा जिले के विश्रामपुर में एक-एक एकड़ कृषि भूमि दी जा रही है। एक-एक एकड़ मिल रही जमीन पर जब विस्थापित किसान परिवार काबिज हो जाएंगे, तब उन्हे दूसरी किश्त के रूप में शेष बकाया 5 लाख का भुगतान किया जाएगा। उन्होने बताया कि कुटकु डैम में लगाए जाने के लिए फाटक बनकर तैयार है। किसानों के विस्थापित होते ही डैम में फाटक लगाने का काम पूरा कर लिया जाएगा। वही देश के मौजूदा हालात को देखते हुए जब यह पूछा गया की ऑपरेशन सिंदूर पर क्या कहेगे। इस बात सुनते ही भड़क उठे ,और जवाहरलाल नेहरू पर तंज कसते हुए कहा की आज जो देश भुगत रहा है। वह पंडित जवाहरलाल की देन है, अगर वह इस देश मे न होते तो आज यह दिन देखना नही पड़ता।
औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट