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Aurangzeb: जब हिंदू और ईसाई तावयफों के कारण टूटा था औरंगजेब का दिल, पहली बार मोहब्बत छूटी, दूसरी बार इज्जत गई

यह कहानी है औरंगजेब के दो अधूरे प्रेम संबंधों की, जिन्होंने उन्हें भावनात्मक रूप से तोड़ दिया। एक तरफ थी हीराबाई, जिसकी अदाओं ने औरंगजेब के दिल पर जादू कर दिया, तो दूसरी तरफ थी राणा गुल, जिसने औरंगजेब के प्रेम को ठुकरा दिया।

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मुगल बादशाह औरंगजेब और उसकी कब्र को लेकर इन दिनों देश में सियासी घमासान मचा हुआ है। लेकिन इतिहास में एक सख्त और धार्मिक शासक के तौर पर दर्ज इस मुगल बादशाह की जिंदगी में कुछ ऐसे पल भी आए जब उन्होंने राज और धर्म की परवाह किए बिना खुद को अपने दिल के हाथों बेबस पाया। यह कहानी औरंगजेब के दो ऐसे प्रेम संबंधों की है, जिसने न सिर्फ उसका दिल तोड़ा, बल्कि उसकी जिंदगी में एक गहरा दर्द भी छोड़ दिया। यह कहानी है हीराबाई और राणा गुल की, जिनकी दिलकश अदाओं ने औरंगजेब का दिल तो जीत लिया, लेकिन उसे दोनों में से किसी का भी प्यार नहीं मिला।


पहला प्यार: ईसाई तवायफ हीराबाई ने तोड़ा हुकूमत का घमंड

यह कहानी उस समय की है, जब औरंगजेब शाहजहां का एक साधारण बेटा था और सत्ता की दौड़ में खुद को साबित करने की कोशिश कर रहा था। उसे दक्कन भेज दिया गया, जहां वह उदास और अकेला महसूस करता था। यहीं पर उनकी जिंदगी में एक ईसाई वेश्या हीराबाई आई, जो न सिर्फ खूबसूरत थी, बल्कि उसके गाने और नाच में ऐसा जादू था कि देखने वाला मंत्रमुग्ध हो जाता था। औरंगजेब ने हीराबाई को पहली बार बुरहानपुर में देखा था। वह अपनी मौसी के हरम में रहती थी और उसकी अदाओं और सुरों के जादू ने औरंगजेब को दीवाना बना दिया था। कहा जाता है कि जब हीराबाई छत पर बैठकर संगीत का अभ्यास करती थी, तो औरंगजेब नीचे से चुपचाप घंटों उसे देखता रहता था। उसके हर गाने में एक आकर्षण था, जो औरंगजेब को उसके करीब खींचता रहा।


धीरे-धीरे औरंगजेब हीराबाई से प्यार करने लगा। वह उसके बिना एक पल भी नहीं रह सकता था। हीराबाई का प्यार इतना गहरा हो गया कि औरंगजेब अपने धर्म और आदर्शों को ताक पर रखकर उसके लिए शराब पीने को तैयार था। लेकिन हीराबाई ने उसे ऐसा करने से रोक दिया। उसने कहा, "मेरा उद्देश्य केवल तुम्हारे प्यार को परखना था, तुम्हें गलत रास्ते पर धकेलना नहीं।" लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। हीराबाई बीमार पड़ गईं और कुछ ही दिनों में इस दुनिया से चली गईं। औरंगजेब टूट गया। उसकी आंखों से आंसू नहीं रुक रहे थे। उसने खुद को संभालने की बहुत कोशिश की, लेकिन हीराबाई की यादें उसे चैन से जीने नहीं देती थीं।



दूसरा प्यार: हिंदू वेश्या राणा गुल ने उसके प्यार को ठुकरा दिया

हीराबाई के जाने के बाद औरंगजेब का दूसरा प्यार तब हुआ जब वह दिल्ली की गद्दी पर बैठा था। यह प्यार राणा गुल नाम की एक हिंदू वेश्या से हुआ, जो न केवल खूबसूरत थी बल्कि संस्कृत और शास्त्रों का भी गहरा ज्ञान रखती थी। वह एक तार्किक, निडर और अपने सिद्धांतों पर अडिग रहने वाली महिला थी। राणा गुल शाहजहां के दरबार में नृत्य और संगीत की महफिलों की जान थीं। उनके आकर्षण ने बड़े-बड़े राजाओं और रईसों को मदहोश कर दिया था, लेकिन उनका दिल दारा शिकोह पर आ गया था। दारा और राणा गुल के प्यार की खबर पूरे दरबार में फैल गई और शाहजहां ने आखिरकार उनकी शादी करवा दी। लेकिन दारा शिकोह की हत्या के बाद औरंगजेब को लगा कि अब राणा गुल उसकी हो सकती है। उसने उसे हर तरह से मनाने की कोशिश की, लेकिन राणा ने साफ मना कर दिया। औरंगजेब का दिल फिर टूट गया।


जब औरंगजेब ने प्रेम प्रस्ताव भेजा, तो राणा ने अपने लंबे काले बाल काटकर उसे भेजे और लिखा - "आपको मेरे बाल पसंद आए, इसलिए इन्हें आपको समर्पित करती हूं। उम्मीद है कि अब आप संतुष्ट होंगे।" यह इस बात का साफ संकेत था कि औरंगजेब के प्यार में राणा गुल के लिए कोई जगह नहीं थी। इसके बाद भी औरंगजेब ने हार नहीं मानी। उसने फिर से प्रेम प्रस्ताव भेजा, लेकिन इस बार राणा ने चाकू से अपना चेहरा काट लिया और खून से सना चाकू औरंगजेब के पास इस संदेश के साथ भेजा - "जिस सुंदरता पर आप मोहित हैं, वह अब नहीं रही।"



औरंगजेब का टूटा दिल और अधूरा प्यार

दोनों प्रेम कहानियों ने औरंगजेब को बुरी तरह तोड़ दिया। हीराबाई की मौत और राणा गुल की बेरुखी ने उसे यह समझा दिया कि वह हमेशा से ही प्रेम की दुनिया में हारा हुआ है। उसने अपनी भावनाओं को अपने भीतर ही दफन कर दिया और खुद को पूरी तरह धर्म और सत्ता की सख्ती में डुबो लिया। लेकिन सच तो यह है कि जिन दो महिलाओं ने औरंगजेब के जीवन में सबसे ज्यादा प्रभाव डाला, वे उसकी नहीं हो सकीं। एक ने उसे प्रेम की ऊंचाइयों पर ले जाकर छोड़ दिया, जबकि दूसरी ने उसके प्रेम पर ध्यान ही नहीं दिया।

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