शिक्षकों के आवास भत्ते पर बड़ा फैसला: अब खुद से नहीं बनवा पाएंगे दूरी प्रमाण पत्र; डीपीओ के नए आदेश ने बढ़ाई शिक्षकों की धड़कनें
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने शिक्षकों के आवास भत्ता के लिए दूरी प्रमाण पत्र जुटाने की जिम्मेदारी बीईओ को सौंपी है। नगर निकायों से 8 किमी की परिधि वाले स्कूलों की सूची एक सप्ताह में मांगी गई है।
Aurangabad - बिहार में शिक्षकों के आवास भत्ता (HRA) की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) ने कड़ा रुख अपनाया है। डीपीओ ने प्रधानाध्यापकों द्वारा सीधे पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता को आवेदन देने पर खेद जताया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि निर्धारित प्रशासनिक प्रक्रिया का पालन न करना अनुशासनहीनता है। इस संबंध में सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों (BEO) को दिशा-निर्देश जारी कर व्यवस्था सुधारने को कहा गया है।
8 किलोमीटर की परिधि वाले स्कूलों की बनेगी सूची
नए आदेश के तहत अब जिले के नगर परिषद और नगर पंचायत मुख्यालय से आठ किलोमीटर की परिधि में आने वाले सभी विद्यालयों की पहचान की जाएगी। सभी बीईओ को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने क्षेत्र के ऐसे स्कूलों की एक समेकित सूची तैयार करें। यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि शहरी क्षेत्र के करीब स्थित स्कूलों के शिक्षकों को नियमानुसार बढ़ा हुआ आवास भत्ता मिल सके।
विभाग खुद समन्वय कर जारी कराएगा प्रमाण पत्र
दूरी प्रमाण पत्र के लिए अब शिक्षकों या प्रधानाध्यापकों को कार्यालयों के चक्कर नहीं काटने होंगे। डीपीओ ने निर्देश दिया है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी खुद सक्षम प्राधिकार जैसे पथ निर्माण विभाग (PWD) या ग्रामीण कार्य विभाग के साथ समन्वय स्थापित करेंगे। विभाग के स्तर पर ही आधिकारिक दूरी प्रमाण पत्र निर्गत कराना सुनिश्चित किया जाएगा, जिससे शिक्षकों को अनावश्यक भागदौड़ से राहत मिलेगी।
एक सप्ताह के भीतर मांगी गई रिपोर्ट
प्रशासन ने इस कार्य के लिए सख्त समय-सीमा निर्धारित की है। सभी बीईओ को निर्गत दूरी प्रमाण पत्रों के साथ विद्यालयों की पूरी सूची एक सप्ताह के भीतर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (स्थापना) कार्यालय को उपलब्ध करानी होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर ही बढ़े हुए आवास भत्ता के अनुरूप शिक्षकों एवं अन्य कर्मियों के वेतन भुगतान की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
सख्ती से अनुपालन का निर्देश
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने चेतावनी दी है कि इस आदेश का अनुपालन पूरी गंभीरता और सख्ती के साथ किया जाए। यदि भविष्य में दोबारा किसी प्रधानाध्यापक द्वारा सीधे अन्य विभागों से पत्राचार किया गया, तो उन पर कार्रवाई हो सकती है। इस नई व्यवस्था का उद्देश्य एचआरए भुगतान में पारदर्शिता लाना और शिक्षकों को समय पर उनके वित्तीय लाभ पहुंचाना है।