Banka Cyber Crime: बांका में बड़ा साइबर ठगी रैकेट का भांडाफोड़! DEO बनकर करते थे शिक्षकों से ठगी, 4 अपराधी गिरफ्तार

Banka Cyber Crime: बांका साइबर थाना की पुलिस ने DEO बनकर शिक्षकों से ठगी करने वाले 4 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। जानिए कैसे हुआ यह खुलासा और किन जिलों में हुई छापेमारी।

Banka Cyber Crime:
बांका में बड़ा साइबर ठगी रैकेट का भांडाफोड़- फोटो : social media

Banka Cyber Crime: बांका जिले के साइबर थाना ने सोमवार को एक संगठित साइबर ठग गिरोह का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने चार साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है, जो खुद को जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) बताकर ई-शिक्षा कोष और सरकारी मोबाइल नंबरों का दुरुपयोग कर रहे थे। गिरफ्तारी के दौरान पुलिस ने 5 मोबाइल फोन और 10 सिम कार्ड भी बरामद किए हैं, जो फर्जीवाड़े में इस्तेमाल किए जा रहे थे।

कैसे करते थे ये साइबर अपराधी फर्जीवाड़ा?

पुलिस अधीक्षक उपेंद्र नाथ वर्मा ने बताया कि गिरफ्तार अपराधी एक संगठित गिरोह चला रहे थे, जो खुद को जिला शिक्षा पदाधिकारी (DEO) बताकर सरकारी स्कूलों के प्रधानाध्यापकों को निशाना बना रहे थे। वे सरकारी पहचान (जैसे DEO) का झूठा परिचय देते थे। सरकारी मोबाइल नंबर और ई-शिक्षा कोष के नाम पर शिक्षकों को कॉल करते थे। उन्हें सरकारी प्रक्रिया बताकर उनके डिजिटल माध्यमों से ठगी करते थे।

शिकायत से हुआ खुलासा मध्य विद्यालय लौसा के प्राचार्य की सतर्कता

पूरा मामला तब सामने आया जब अमरपुर प्रखंड के मध्य विद्यालय लौसा के प्रधानाध्यापक संजीव कुमार तिवारी ने साइबर थाना में लिखित शिकायत दर्ज कराई।उन्होंने बताया कि कोई व्यक्ति DEO बनकर उनके सरकारी मोबाइल नंबर और ई-शिक्षा कोष की जानकारी का दुरुपयोग कर रहा है।इस शिकायत को गंभीरता से लेते हुए पुलिस अधीक्षक ने एक विशेष अनुसंधान दल गठित किया।

साइंटिफिक इन्वेस्टिगेशन और छापेमारी

डीएसपी व साइबर थानाध्यक्ष अनुपेश नारायण के नेतृत्व में गठित टीम ने पटना, नवादा और नालंदा में छापेमारी की।

इस विशेष टीम में बांका साइबर डीआईयू और तकनीकी अनुसंधान विशेषज्ञ शामिल थे।

छापेमारी के दौरान गिरफ्तार हुए चार अपराधी:

सैनी कुमार – पिता: जितेंद्र पासवान (नालंदा)

सूरज कुमार – पिता: सिकंदर पासवान

अभिषेक कुमार – पिता: छोटन पासवान

संतोष कुमार – पिता: सुनील पासवान

इन सभी ने पूछताछ में अपने अपराध को स्वीकार कर लिया है।

अपराधियों की साइबर तकनीक और उद्देश्य

पुलिस सूत्रों के अनुसार, ये अपराधी खुद को सरकारी अधिकारी बताकर डिजिटल धोखाधड़ी करते थे।सिम स्वैपिंग, कॉल फॉरवर्डिंग, यूपीआई लिंकिंग जैसे हाईटेक तरीकों का इस्तेमाल करते थे। उनके टारगेट अधिकतर सरकारी शिक्षक और प्रशासनिक कर्मचारी होते थे। इनके पास से बरामद सिम कार्ड और मोबाइल फोन फर्जी पहचान पर जारी किए गए थे, जिन्हें अब डिजिटल फॉरेंसिक लैब भेजा जाएगा।

पुलिस की अगली कार्रवाई: गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश

गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस अब गिरोह के नेटवर्क का विस्तार समझने की कोशिश कर रही है। साइबर बैंकिंग डिटेल्स, कॉल लॉग्स और ट्रांजेक्शन हिस्ट्री खंगाल रही है। अन्य जिलों में सक्रिय गिरोह के साथियों की पहचान के लिए छापेमारी कर रही है। यह कार्रवाई बिहार में बढ़ते साइबर अपराध के खिलाफ एक बड़ी कामयाबी मानी जा रही है।