Bihar News: जीएमसीएच बना गर्भवती का कब्रगाह, लापरवाही, लाठीचार्ज और लाश यह अस्पताल है या अफसाना-ए-जुल्म

Bihar Newगवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल अब अस्पताल कम, ‘अव्‍यवस्‍था का अजायबघर’ ज़्यादा लगने लगा है। यहां डॉक्टर कम, इंटरर्नशिप के साहिलों पर तैरती उम्मीदें ही अब मरीज़ों का इलाज कर रही हैं और वो भी किस्मत रही तो।

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जीएमसीएच बना गर्भवती का कब्रगाह- फोटो : social Media

Bihar News: बेतिया का गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल अब अस्पताल कम, ‘अव्‍यवस्‍था का अजायबघर’ ज़्यादा लगने लगा है। यहां डॉक्टर कम, इंटरर्नशिप के साहिलों पर तैरती उम्मीदें ही अब मरीज़ों का इलाज कर रही हैं और वो भी किस्मत रही तो।

ताज़ा मामला 21 वर्षीय गर्भवती महिला सोनी देवी का है, जिसे परिजन सात महीने की गर्भावस्था में गंभीर हालत में पहले एक निजी क्लिनिक और फिर जीएमसीएच लाए, लेकिन अस्पताल ने इलाज देने के बजाय ऊपर-नीचे की “लिफ़्ट-यात्रा” में ही महिला की साँसें उखाड़ दीं।

परिजन चीखते रहे, डॉक्टर भागते रहे, और सिस्टम वो हमेशा की तरह गूंगा-बहरा बनकर तमाशा देखता रहा। इलाज तो मिला नहीं, उलटे जब परिजन अस्पताल अधीक्षक से शिकायत करने पहुंचे, तो अस्पताल गार्डों ने ऐसा “इलाज” दिया कि महिला समेत कई लोग ज़मीन पर ढेर हो गए।

विडीओ बनाने की कोशिश की तो “सिस्टम की सच्चाई” मोबाइल से ही मिटा दी गई। मोबाइल छीना गया, गालियाँ दी गईं और हाथों से लोकतंत्र को पीटा गया। पूछिए क्यों? क्योंकि किसी ने “सवाल” पूछने की हिमाक़त कर ली।

क्या अब सवाल पूछना जुर्म है?क्या अस्पताल प्रशासन संवेदनहीनता की सारी सीमाएं लांघ चुका है?

यह महज़ एक प्रसूता की मौत नहीं  यह उस सिस्टम की मौत है जो “जनता की सेवा” के नाम पर टैक्स खाता है और बदले में लाश लौटाता है। जिस अस्पताल में मातृत्व की रक्षा होनी चाहिए थी, वहाँ माताएं मर रही हैं और उनके परिजन पीटे जा रहे हैं  ये कैसा मां-बच्चा केंद्र है भई?

सरकार के “मातृत्व सुरक्षा अभियान” और “जननी योजना” की हकीकत अब जमीन पर “जनाजा बनकर” दिख रही है। अस्पताल प्रबंधन पर तो जैसे संवेदना का कोई टीका ही नहीं लगा।

अब जनता पूछ रही है कि जब “सरकारी अस्पताल” ही ज़ुल्मगाह बन जाए, तो ग़रीब कहाँ जाए?क्या अब इलाज मांगना भी बगावत माना जाएगा?

ग्रामीणों और परिजनों ने जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक से इस पूरे मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। लेकिन इस घटना ने बिहार की चिकित्सा व्यवस्था की जो तस्वीर पेश की है, वो सिर्फ शर्मनाक नहीं, खौफनाक है।"अब इलाज मौत का रास्ता बनता जा रहा है, और आवाज़ उठाना जुर्म  ये लोकतंत्र है या लाठीतंत्र?"

रिपोर्ट- आशीष कुमार