Bihar News : बिहार में 'डिजिटल इंडिया' और 'चमकते बिहार' के दावे को मुंह चिढ़ा रहा गुर्जरों का यह गाँव, बिजली और सड़क को तरस रहे ग्रामीण

Bihar News : बिहार में 'डिजिटल इंडिया' और 'चमकते बिहार' के द

Bettiah : बिहार के पश्चिम चंपारण जिले में आज भी एक ऐसा गांव है, जहां आज़ादी के कई दशक बाद भी बुनियादी सुविधाएं लोगों की पहुंच से दूर हैं। यह गांव गौनाहा प्रखंड के भारत–नेपाल सीमा से सटे भिखनाठोरी पंचायत के वार्ड नंबर एक में स्थित है। इस वार्ड के स्थानीय ग्रामीण कमलेश ठाकुर  ने बताया कि यहां लगभग 400 गुर्जर परिवार निवास करते हैं, लेकिन उनकी ज़िंदगी आज भी अंधेरे और उपेक्षा के बीच गुजर रही है।

सबसे चिंताजनक स्थिति यह है कि गांव में अब तक बिजली की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जा सकी है। सूर्यास्त के बाद पूरा इलाका अंधेरे में डूब जाता है और लोग सोलर पैनल के सहारे जीवन यापन करने को मजबूर हैं। बिजली के अभाव का सीधा असर बच्चों की पढ़ाई, घरेलू कार्यों और सुरक्षा व्यवस्था पर पड़ता है।

इसके साथ ही गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क भी नहीं है। बरसात के दिनों में जिससे आवागमन पूरी तरह बाधित हो जाता है। बीमार व्यक्ति को अस्पताल ले जाना भी ग्रामीणों के लिए बड़ी चुनौती बन जाता है। स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति भी बेहद दयनीय है। गांव में न तो कोई स्वास्थ्य उपकेंद्र है और न ही नियमित रूप से चिकित्सकीय सुविधा उपलब्ध है। मामूली बीमारी के इलाज के लिए भी ग्रामीणों को कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है।

डिजिटल इंडिया के दौर में भी इस गांव में मोबाइल नेटवर्क की सुविधा नहीं मिल पाती। नेटवर्क के अभाव में लोग न तो सरकारी योजनाओं की ऑनलाइन जानकारी ले पाते हैं और न ही आपात स्थिति में संपर्क कर पाते हैं। ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों का कहना है कि सरकार को इस सीमावर्ती गांव पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि यहां के लोगों को भी विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके।

बेतिया से आशीष की रिपोर्ट