Babri Masjid : मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद शिलान्यास पर भड़के पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, सनातन संस्कृति पर बताया हमला, हुमायूँ कबीर पर की राजद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग
Babri Masjid : मुर्शिदाबाद में बाबरी मस्जिद के शिलान्यास के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने इस सनातन संस्कृति पर हमला बताया है. उन्होंने हुमायूँ कबीर पर राजद्रोह का मुकदमा चलाने की मांग की है......पढ़िए आगे
BHAGALPUR : पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के पूर्व नेता हुमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद के मॉडल पर किए गए निजी शिलान्यास का मामला अब राष्ट्रीय राजनीति का एक बड़ा विवाद बन चुका है। इस घटना ने पूरे देश में राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। भले ही टीएमसी ने शिलान्यास करने वाले नेता को पार्टी से निलंबित करने का दावा किया हो, लेकिन भाजपा इसे महज 'नाटक' बताते हुए पश्चिम बंगाल की सरकार पर हमलावर हो गई है।
इसी मुद्दे पर आज भागलपुर पहुंचे पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने एक बड़ा और विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने मुर्शिदाबाद की घटना को सीधे तौर पर "सनातन संस्कृति पर हमला" करार दिया है। चौबे ने स्पष्ट किया कि उन्हें मस्जिद बनाए जाने से कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने इस बात पर गहरी नाराजगी जताई कि इसका नाम विदेशी आक्रमणकारी बाबर के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा, "मस्जिद बनाने से हमें कोई समस्या नहीं, लेकिन बाबर जैसे विदेशी आक्रमणकारी के नाम पर शिलान्यास हिंदुस्तान बर्दाश्त नहीं करेगा। ऐसी हरकत करने वालों पर राजद्रोह का केस होना चाहिए।"
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने टीएमसी पर दिखावे की कार्रवाई करने का आरोप लगाया। उनका कहना है कि पार्टी ने केवल दिखावे के लिए नेता पर कार्रवाई की है, जबकि वास्तविक कार्रवाई करने से वह बच रही है। चौबे ने इस घटना को बंगाल में लगातार बढ़ती अराजकता और सांप्रदायिक तनाव का प्रमाण बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण से बाहर है, जिसे देखते हुए उन्होंने पश्चिम बंगाल में तत्काल राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी है।
चौबे ने कड़े शब्दों में कहा, "बंगाल की स्थिति लगातार बिगड़ रही है। वहाँ अराजकता है… सांप्रदायिक उन्माद है… राष्ट्रपति शासन लगाए बिना समाधान नहीं।" उनका यह बयान ऐसे समय आया है जब मुर्शिदाबाद विवाद अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ था। चौबे के इस बयान ने बंगाल की राजनीति को एक बार फिर गरमा दिया है और यह अब केंद्र सरकार पर भी दबाव बढ़ा रहा है कि वह इस संवेदनशील और विवादित मुद्दे पर क्या रुख अपनाती है।
अंजनी कश्यप की रिपोर्ट