Bhagalpur DM controversy: अभद्र व्यवहार की वजह से बुरे फंसे भागलपुर के DM नवल किशोर चौधरी ! इंजिनियरों के संगठन ने कर दी बड़ी मांग

Bhagalpur DM controversy:भागलपुर डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी पर एनएच अभियंता से दुर्व्यवहार के आरोप लगे हैं। अभियंता संघ ने उनके स्थानांतरण और जांच की मांग की है।

Bhagalpur DM controversy:
भागलपुर DM पर कार्रवाई की मांग- फोटो : SOCIAL MEDIA

Bhagalpur DM controversy: भागलपुर ज़िले के डीएम डॉ. नवल किशोर चौधरी पर आरोप है कि उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग 133ई से संबंधित भू-अर्जन के मसले में कार्यपालक अभियंता के साथ अभद्र व्यवहार किया। इंडेफ (पूर्वी प्रक्षेत्र) के सेक्रेटरी जनरल अंजनी कुमार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि डीएम ने अभियंता को हिरासत में लेने की धमकी दी और मारपीट की बात कही। इसी क्रम में बिहार अभियंत्रण सेवा संघ ने भी विरोध दर्ज करते हुए बिहार सरकार से मांग की है कि इस मामले में निष्पक्ष जांच हो और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।

अभियंता संघ का रुख और तकनीकी स्वायत्तता की मांग

इंडेफ व अभियंता संघ दोनों का कहना है कि तकनीकी कार्यों में प्रशासन का हस्तक्षेप बढ़ता जा रहा है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। बिहार में जहां मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री दोनों तकनीकी पृष्ठभूमि से आते हैं, वहाँ अभियंताओं को इस प्रकार प्रताड़ित किया जाना बेहद चिंताजनक है।

संघ की मांग है कि तकनीकी विभागों को पूरी तरह से तकनीकी अधिकारियों के हाथों में सौंपा जाए, जिससे पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। संघ की पुरानी मांगों में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर तकनीकी आयोग का गठन भी शामिल है।

भू-अर्जन घोटाले की आंशका: क्या है डीएम पर असली आरोप?

संघ ने यह भी आरोप लगाया है कि डीएम और उच्च प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से NH-133E के भूमि अधिग्रहण में वितीय अनियमितता और अराजकता छुपाने का प्रयास किया जा रहा है। यह भी कहा गया कि अभियंता पर कार्रवाई कर मामले को भटकाया जा रहा है।इस कथित घोटाले की निष्पक्ष जांच के लिए स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच की मांग भी की गई है।

सरकार से मांगी गई कार्रवाई: स्थानांतरण और जांच की मांग

बिहार सरकार से स्पष्ट रूप से दो मांगें की गई हैं कि भागलपुर के जिलाधिकारी डॉ. नवल किशोर चौधरी का तत्काल स्थानांतरण किया जाए।इस पूरे मामले की निष्पक्ष व स्वतंत्र जांच कराई जाए। इंडेफ और अभियंता संघ का यह भी कहना है कि उच्च पदस्थ प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए, जिनकी उदासीनता से यह मामला यहां तक पहुंचा।